राजस्थान यूनिवर्सिटी में आर्थिक संकट गहराया, 4 सालों में 100 करोड़ का घाटा

राजस्थान यूनिवर्सिटी में आर्थिक संकट गहराया, 4 सालों में 100 करोड़ का घाटाजयपुर: राजस्थान विश्वविद्यालय प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है और उतनी ही बड़ी यहां की समस्याएं है. बीते 4 सालों से राजस्थान विश्वविद्यालय करीब 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के घाटे से गुजर रहा है. समय के साथ साथ ये घाटा लगातार ही बढ़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है राजस्थान विश्वविद्यालय से रिटायर्ड हो चुके कर्मचारियों और शिक्षकों को हो रहे पेंशन का भुगतान. राजस्थान विश्वविद्यालय इस समय करीब 2800 शिक्षकों और कर्मचारियों को पेंशन का भुगतान कर रहा है. जबकि वेतन मद से महज 1500 के करीब शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन का भुगतान हो रहा है. ऐसे में वेतन के मुकाबले राविवि डेढ़ गुना पेंशन का भुगतान कर रहा है. जिसके चलते राविवि पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है.

बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय में कार्यरत करीब 1500 शिक्षकों और कर्मचारियों को भुगतान होने वाले वेतन का 75 फीसदी हिस्सा ही राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाता है. वहीं 25 फीसदी हिस्सा राजस्थान यूनिवर्सिटी खुद वहन करती है. इससे भी बड़ी समस्या है कि 2800 शिक्षकों और कर्मचारियों को भुगतान होने वाली पेंशन का पूरा भार पूरी तरह से राजस्थान विश्व विद्यालय के कंधों पर है. राज्य सरकार की ओर से पेंशन भुगतान के लिए 1 रुपये की भी राशि जारी नहीं होती है.

लगातार घाटे में जा रही युनिवर्सिटी पर चिंता जताते हुए कुलपति आरके कोठारी का कहना है कि शिक्षकों और कर्मचारियो को पेंशन का भुगतान विवि की ओर से ही किया जाता है. इसकी वजह से विवि लगातार घाटे में जा रही है. सरकार से कई बार इस संबंध में वार्ता की जा चुकी है यहां तक की हाईकोर्ट में एफीडेबिट भी पेश किया जा चुका है. लेकिन अभी तक भी नतीजा सिफर ही है.

कुलपति आरके कोठारी ने बताया की पिछले वित्तीय वर्ष में वेतन 75 करोड़ और पेंशन 90 करोड़ का भुगतान हुआ. जो इस वित्तीय वर्ष में बढ़कर वेतन 90 करोड़ और पेंशन 120 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है. इसके साथ ही राज्य सरकार पेंशन का भी महज 75 फीसदी हिस्सा ही वहन कर रही है. राजस्थान यूनिवर्सिटी 25 फीसदी हिस्सा वहन करती है. राविवि सबसे पुरानी विवि है और इसकी वजह से यहां सबसे ज्यादा पेंशनर्स हैं, जिन्हें पुरानी पेंशन का भुगतान किया जा रहा है. अगर ये हालात अगले 2-3 साल तक ऐसे ही बने रहे तो एक विकट समस्या खड़ी हो सकती है, इसलिए सरकार को इस ओर जल्द ध्यान देना पड़ेगा.

आर्थिक हालात की बात कि जाए तो यूनिवर्सिटी की हालत बद से बदतर होती जा रही है. राज्य सरकार जहां पूरी तरह से यूनिवर्सिटी में मुंह फेरे बैठी है. वहीं अगले 2-3 सालों में यूनिवर्सिटी में पेंशन भुगतान को लेकर भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है.

Bureau Report

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