शेल कंपनियों पर सरकार का शिकंजा, 6.83 लाख कंपनियों के रजिस्ट्रेशन रद्द

शेल कंपनियों पर सरकार का शिकंजा, 6.83 लाख कंपनियों के रजिस्ट्रेशन रद्दनईदिल्ली: मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को दूर करते हुए कामकाज में ट्रांसपेरेंसी (पारदर्शिता) पर अपना ध्यान फोकस किया हुआ है. सरकार के कड़े कदम से बड़ी संख्या में फर्जी कंपनियां बंद हुई हैं. साथ ही ऐसी लाखों कंपनियों पर ताले लगे हैं जो इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करती हैं. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय (एमसीए) के साथ रजिस्टर्ड लगभग 6.8 लाख कंपनियां बंद हो गई हैं. सरकार की तरफ से हाल में जारी आंकड़े के अनुसार, बंद हुईं कंपनियों की यह संख्या एमसीए के साथ रजिस्टर्ड कुल कंपनियों का 36 फीसदी हैं. देश में करीब 19 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां हैं.

बंद होने वाली कंपनियों में ज्यादातर शेल कंपनियां
सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार, रजिस्टर्ड 18,94,146 कंपनियों में से 6,83,317 कंपनियां बंद हो गई हैं. जानकारी के मुताबिक जो कंपनियां बंद हुई हैं उनमें से ज्यादातर शेल यानी फर्जी कंपनियां हैं. सरकार की सख्ती के चलते ये कंपनियां बद हो गई हैं. सरकार ने उन कंपनियों की पहचान करने और उन्हें बंद करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया है, जिन्होंने लगातार दो माली वर्षों से अधिक के लिए सालाना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किए थे.

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 1,42,425 कंपनियां बंद हुईं, और उसके बाद दिल्ली में 1,25,937 कंपनियां बंद हुईं. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने माली वर्ष 2018 और 2019 में क्रमश: 2,26,166 कंपनियों और 1,12,797 कंपनियों के नाम रद्द किए थे. जानकारी के मुताबिक, जिन कंपनियों की ओर से दो साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट और सालाना रिटर्न नहीं दाखिल किया जाता है, उन्हें बंद कंपनी मान लिया जाता है. सरकार ऐसी कंपनियों को चिन्हित करके उन्हें कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 248 (1) के अंतर्गत आने वाले नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाता है.

बता दें कि पिछले दिनों सरकार ने लोकसभा में कंपनी संशोधन विधेयक पास किया था. विधेयक पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन को बताया था कि देश में करीब 4 लाख गैर सक्रिय कंपनियां हैं जो कि कई सालों से कारोबार नहीं कर रही हैं साथ ही रजिस्टर्ड भी नहीं है. ऐसी ही कंपनियों को शेल कंपनी कहा गया है जो बिन रजिस्ट्रेशन के चल रही हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि अगर रजिस्ट्रेशन के बिना कोई कंपनी चलेगी तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि साल 2013 में जो कंपनी कानून इस सदन में पास हुआ था, उसमें भी कई दिक्कतें थीं.

Bureau Report

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