नईदिल्लीः असम NRC मामले में केंद्र और राज्य सरकार ने एक बार फिर एनआरसी ड्राफ्ट की समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि हम देखेंगे. बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक की समय सीमा तय कर रखी है. ऐसे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्डिनेटर प्रतीक हजेला से कहा था कि आपको 31 जुलाई की समय सीमा तक काम पूरा करना है, सिर्फ इस वजह से प्रक्रिया को जल्दबाजी में न करें.
साथ ही कोर्ट ने कहा था कि कुछ मीडिया रिपोर्ट हैं कि कैसे दावे और आपत्तियों के साथ निपटा जा रहा है और मीडिया हमेशा गलत नहीं होता है. कभी-कभी वे सही होते हैं. कृपया यह तय करें कि प्रक्रिया में कोई कमी न रह जाए और यह सही तरीके से किया जाए. आपको बता दें कि असम में एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट गत 30 जुलाई 2018 को जारी हुआ था जिसमें करीब 40 लाख लोग बाहर रह गए थे.सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि दावा पेश करते समय व्यक्ति दस दस्तावेजों में से किसी एक या उससे ज्यादा को आधार बना सकता है.
वहीं बाकी के पांच दस्तावेजों को आधार बनाए जाने पर कोर्ट ने संयोजक हजेला से 15 दिन में उनका नजरिया मांगा. सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सभी 15 दस्तावेजों को आधार बनाने की इजाजत मांगते हुए कहा था कि असम के ज्यादातर लोग गांव में रहने वाले और कम पढ़े लिखे हैं, जो छूट गए हैं, उन्हें अपना दावा करने के लिए मौका मिलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वैसे तो किसी को दोबारा मौका नहीं मिलना चाहिए. बात सिर्फ दस्तावेजों की जांच परख की होती है, लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वे रियायत करते हुए एक और मौका दे रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन पांच दस्तावेजों की इजाजत कोर्ट नहीं देना चाहता वे ऐसे दस्तावेज हैं जिन्हें फर्जी बनवाया जा सकता है. बाकी के दस दस्तावेज सरकारी एजेंसी से जारी किए गए होंगे. हालांकि वे इन पांच दस्तावेजों को आधार बनाने का मामला पूरी तरह बंद नहीं कर रहे हैं. पहले वे इस पर हजेला की रिपोर्ट देखेंगे.
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