नईदिल्ली: अरब देशों में काम कर रहे पाकिस्तानी डॉक्टरों के सामने एक अजब मुसीबत खड़ी हो गई है. सऊदी अरब और कुछ अन्य अरब देशों ने पाकिस्तान के सदियों पुराने स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम- एमएस (मास्टर ऑफ सर्जरी) और एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) को अस्वीकार कर दिया है. इस तरह उन्होंने इन डिग्री धारक डॉक्टरों को उच्चतम भुगतान की पात्रता सूची से हटा दिया है. इस निर्णय ने कथित तौर पर पाकिस्तान के सैकड़ों उच्च योग्यता वाले डॉक्टरों की नौकरी पर संकट खड़ा कर दिया है. इनमें से ज्यादातर सऊदी अरब में हैं, जिन्हें कह दिया गया है कि या तो वे खुद उनका देश छोड़ दें या फिर उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा.
वहीं, भारत, मिस्त्र, सूडान और बांग्लादेश की डिग्रियों को वैधता प्रदान की है. यानि इन देशों के डिग्रीधारक डॉक्टर वहां मेडिकल प्रैक्टिस जारी रख सकते हैं.
पाकिस्तान के एमएस/एमडी की डिग्री को अस्वीकार करते हुए सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया कि इसमें संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम का अभाव है, जो महत्वपूर्ण पदों के लिए मेडिक्स को रखने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है. सऊदी सरकार के कदम के बाद, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने भी इसी तरह का कदम उठाया है.
दरअसल, 2016 में सऊदी के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने अधिकतर प्रभावित डॉक्टरों को काम पर रखा था, जब उन्होंने ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करने के बाद कराची, लाहौर और इस्लामाबाद में साक्षात्कार आयोजित किए थे.
Bureau Report
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