नईदिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने शुक्रवार (30 अगस्त) को राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की. जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच में शुक्रवार शाम को ये बैठक हुई. अरशद मदनी के करीबियों ने इस बैठक की पुष्टि की है.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच में देश के मौजूदा हालात के साथ हिन्दू-मुस्लिम के बीच एकता कायम रखने को लेकर चर्चा हुई है. बताया जा रहा है कि बैठक में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों करने और अनुच्छेद-370 को समाप्त करने के साथ इस फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच को लेकर इस बैठक में चर्चा हुई है.
इस मुलाक़ात को आरएसएस ने ऐतिहासिक बताया है और कहा है कि इस मुलाकात के नजीते बेहद सकारात्मक होंगे. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि आरएसएस ने संगठन महामंत्री रामलाल को ये जिम्मेदारी दी है कि वो आगे की दिशा के लिए मुस्लिम सगठनों के साथ सम्पर्क रखे ताकि बेहतर सामंजस्य बना रहे. ख़बर ये भी है कि आने वाले दिनों में किसी बड़े कार्यक्रम में मौलाना अरशद मदनी और आरएसएस चीफ मोहन भागवत एक स्टेज पर नज़र आ सकते है.
इसके साथ ही हाल में तीन तलाक पर विदेयक पारित होने के साथ देश के अन्य मसलों पर बी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई है. आपको बता दें कि बाल ही में जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बिगड़ते सांप्रदायिक माहौल के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की थी.
जमीयत उलेमा ए हिन्द मुसलमानों के बीच काम करती है और आरएसएस हिन्दू धर्म के मानने वालों के बीच. दोनों की विचारधारा भी बिल्कुल अलग है. ऐसे में दोनों सगठनों के नेताओं का मिलना और आगे काम करने की कोशिशों को बढ़ावा देना यकीनन बड़ा बदलाव माना जा रहा है. कुछ दिन पहले ही आरएसएस के बड़े नेता इंद्रेश कुमार भी देश के सबसे बड़े इस्लामिक संस्थान देवबंद दारुल उलूम गए थे, तब भी कई तरह ही प्रतिक्रिया सामने आयी थी. अब इन्तिज़ार करना होगा कि आखिर इस मुलाकात के सकारात्मक नजीते क्या निकलकर सामना आते है.
Bureau Report
Leave a Reply