नईदिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों का मर्जर कर चार बैंक करने की घोषणा की. 6 छोटे-छोटे बैंकों का 4 बड़े बैंकों में विलय कर दिया गया. इस तरह अब देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 18 से घटकर 12 हो गई. इससे पहले बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय का ऐलान किया गया था. सरकार के इस कदम की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s)ने सराहना की है. हालांकि, उसका कहना है कि इससे क्रेडिट मेरिट में तत्काल कोई सुधार नहीं होगा.
मूडीज के मुताबिक, सभी बैंकों की करदान क्षमता की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर है. लेकिन, बैंकों के मर्जर से उनका संचालन अर्थपूर्ण होगा और कॉरपोरेट जैसे खंड में उनकी प्रतिस्पर्धी स्थिति में मदद मिलेगी, जहां उनकी ग्राहक वॉलेट हिस्सेदारी कम है, और खुदरा ऋण में, जहां उनका संचालन मंद है. मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ग्रुप के उपाध्यक्ष, श्रीकांत वादलमणि ने कहा कि इससे बैकों को टेक्नोलॉजी में निवेश करने में भी मदद मिलेगी, जहां वे निजी सेक्टर के बैंकों की तुलना में काफी कमजोर हैं.
उन्होंने कहा, “ये कदम ढांचागत की बनिस्बत वृद्धिशील हैं, और उनके क्रियान्वयन की गुणवत्ता उनकी प्रभावकता को निर्धारित करेगी.” उन्होंने यह भी कहा कि मर्जर कॉरपोरेट गवर्नेस में सुधार का मौका देगा, और बैंक बोर्ड की कार्यप्रणाली सुधारने को घोषित उपाय उस दिशा में एक कदम है. उल्लेखनीय है कि देश में जारी मंदी से निपटने के क्रम में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों को जारी रखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर चार बैंक बनाने की घोषणा की.
Bureau Report
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