अयोध्या केसः मुस्लिम पक्ष के वकील बोल, ‘हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन…’

अयोध्या केसः मुस्लिम पक्ष के वकील बोल, 'हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन...'नईदिल्लीः अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को 19वें दिन की सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की ओर से बहस शुरू की गई. राजीव धवन ने कोर्ट को बताया इक़बाल अंसारी के बेटे हाशिम पर हमला हुआ, वह भी इन मामले में याचिकाकर्ता हैं. धवन ने कहा कि अंसारी को पुलिस ने हमलावर से बचाया. धवन ने कहा कि हम सुरक्षा बढ़ाने की मांग नही कर रहे है, जो सुरक्षा मिली हुई उसमे हमला कैसे हुए, किस तरह की सुरक्षा है यह. धवन ने कहा कि इकबाल अंसारी मेरे दरवाज़े सभी के लिए खिले हुए है, मेरे वहां सभी का स्वागत होता है. 

– राजीव धवन ने कहा कि हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन टाइटल मुसलमानों के साथ था. हिंदू पूजा करना चाहते थे, मुसलमानों ने उन्हें अनुमति दी लेकिन टाइटल हमेशा मुस्लिमों के साथ था.

– राजीव धवन ने कहा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि देवता के अधिकार सीमित है. 1885 में शेबेट ने दावा दायर किया लेकिन उपाधित्व का दावा नहीं किया गया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि शेबेट का अधिकार देवता के प्रबंधन के बारे में है, लेकिन देवता का अधिकार अल्पविकसित है. धवन ने कहा कि 1885 में शेबेट ने याचिका दाखिल की लेकिन कब्ज़ा को चुनौती नहीं दी गई. आधुनिक ऐंग्लो मस्लिम कानून के साथ हमको चलना होगा हम यह नहीं कह सकते कि वह अच्छे लोग थे या बुरे.जस्टिस बोबडे ने कहा कि आप कह रहे है कुरानिक कानून मस्जिद पर लागू नही होगा.धवन ने कहा कि कुरानिक कानून को भारतीय कानून ने माना है आप कुरानिक कानून की अनदेखी नही कर सकते है.

–  राजीव धवन ने कहा कि हम निर्मोही अखाड़ा के शेबेट के अधिकार को नही छीन रहे.जस्टिस भूषण ने धवन से पूछा- इसका मतलब है कि आप स्वीकार कर रहे हैं कि वह बाहरी आंगन में प्रार्थना कर रहे थे.

– धवन ने कहा कि 1885 में उन्हीने अंदरूनी हिस्से पर अधिकार की बात कही और पूजा के अधिकार की बात कही, शेबेटशिप उनकी न्यायिक स्तिथि है.निर्मोही अखाड़ा, प्रबंधन अधिकारों की मांग कर रहे हैं, वह प्रबंधन अधिकारों के हकदार हैं, लेकिन बाहरी आंगन में क्या था और पूजा कहां की जा रही थी इसका फैसला होना है.

– सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी पर हुए हमले पर कोर्ट का ध्यान दिलाया, कहा- मैं नहीं जानता कि इस हमले की जांच कराए जाने की जरूरत है या नहीं लेकिन इस घटना पर कोर्ट की सामान्य टिप्पणी भी मायने रखती है.मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी पर हुए हमले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे कि इस मामले में क्या किया जा सकता है. और जो कुछ जरूरी होगा हम करेंगे.

कल 18वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पक्ष रखा था. राजीव धवन ने मुस्लिम पक्ष का दावा साबित करते हुए कोर्ट को बताया था कि 1950 की विवादित ढांचे की फ़ोटो दिखाई जिसमें दावा किया कि तीन जगह अरबी में अल्लाह लिखा हुआ था, वो बाबरी मस्जिद ही थी, निर्मोही अखाड़े के दावे पर धवन ने कहा था कि अखाड़ा ने केवल सेवादार और प्रबंधन का अधिकार मांगा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं मांगा है, अगर ये मान भी लिया जाए कि ये सेवादार थे तो भी दो मुद्दों पर बहस करूंगा.

Bureau Report

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