श्रीनगर: कहते हैं मेहनत किसी उम्र की मोहताज नहीं होती कुछ ऐसी ही मिसाल 83 वर्षीय विद्या दत्त शर्मा ने पेश की है. जिनकी जीवनशैली पर बनी एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मोती बाग’ कोऑस्कर अवार्ड के लिए भारत से चयनित किया गया है.
उम्र के इस पड़ाव में भी किसानी के प्रति अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले 83 वर्षीय विद्या दत्त शर्मा का ये लगाव ही है की नायब तहसीलदार की नौकरी छोड़कर विद्या दत्त शर्मा खेती के कार्य में जुट गए और जैविक खेती के जरिये ही विद्या दत्त शर्मा ने 22 किलो 750 ग्राम की गोल मूली के साथ ही साढे छह किलो की गोभी के साथ ही 3 से 4 फीट की लम्बी मूली को अपने खेतों में उगाकर सबको हैरत में डाल दिया.
इन सब्जियों से विद्या दत्त शर्मा ने एक मिसाल पेश की, जिस पर लिम्का बुक वर्ल्ड के लिए भी विद्याद्त का नाम चयन किया गया था. विद्या दत्त शर्मा की इसी मेहनत को अंर्तराष्ट्रीय मंच तक पहुंचनाने के लिए विद्या दत्त शर्मा पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई.
राष्ट्रीय मंच में पहला स्थान मिलने बाद इसी फिल्म को अब अंर्तराष्ट्रीय मंच मिल गया है पहाड़ और पलायान पर आधारित यह लघु फिल्म इससे पहले भी केरला मेंहुए अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी पहला स्थान से सम्मानित हो चुकी है.
‘मोती बाग’ में बताया गया है कि किस प्रकार से 84 वर्षीय बुजुर्ग विद्या दत्त शर्मा ने पहाड़ की विषम परिस्थितियों में अपनी मेहनत से अपने गांव मोती बाग को हरा भरा रखा है. एक घंटे की फिल्म में किसान विद्या दत्त शर्मा का जीवन संघर्ष दिखाया गया है, कि कैसे विद्या दत्त शर्मा ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर खेती किसानी शुरू की और गांव मोती बाग में वर्षा के जल को रोकने के लिए खुद ही तालाब बना डाला.
अब इस डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘मोती बाग’ का चयन ऑस्कर अवार्ड के लिए भारत से हुआ है. फिल्म का प्रदर्शन ऑस्कर समारोह में अमेरिका के लांस एंजेलिस में किया जायेगा.