नईदिल्ली: भारत आज देर रात अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाई हासिल करने जा रहा है. 22 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 मिशन (Chandrayaan 2) के तहत 7 सितंबर को 01:30 बजे से 2:30 बजे के बीच में विक्रम नामक लैंडर को चांद पर उतारा जाएगा. यह शोध यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा और शोध शुरू करेगा. इसके साथ ही भारत इतिहास रच देगा. विक्रम के साथ ही चांद की सतह पर प्रज्ञान नामक रोबोटिक यान भी उतरेगा.
3 हिस्सों से मिलकर बना है चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 को इसरो ने 22 जुलाई को लॉन्च किया था. चंद्रयान-2 मिशन में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल हैं. इनका नाम चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर है. ऑर्बिटर चांद की कक्षा में पहुंच चुका है. लैंडर विक्रम आज देर रात चांद पर उतरेगा. 2 सितंबर को ऑर्बिटर से अलग होकर लैंडर विक्रम चांद की सतह के लिए रवाना हुआ था.
चांद पर 2 बड़े गड्ढों के बीच उतरेगा विक्रम
चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान उतरेंगे. लैंडर विक्रम का वजन 1,471 किलोग्राम है. इसका नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर हुआ है. इसे 650 वॉट की ऊर्जा से ताकत मिलेगी. यह 2.54*2*1.2 मीटर लंबा है. चांद पर उतरने के दौरान यह चांद के 1 दिन लगातार काम करेगा. चांद का 1 दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यह चांद के दो बड़े गड्ढों मैजिनस सी और सिंपेलियस एन के बीच उतरेगा.
लैंडर विक्रम के साथ 4 अहम इंस्ट्रूमेंट चांद पर शोध के लिए भेजे जाएंगे. चांद पर होने वाली भूकंपीय गतिविधियों को मापने और उसपर शोध करने के लिए एक खास इंस्ट्रूमेंट लगाया गया है. इसके अलावा इसमें चांद पर बदलने वाले तापमान की बारीक जांच करने के लिए भी खास उपकरण है. इसमें तीसरा उपकरण है लैंगमूर प्रोब. यह चांद के वातावरण की ऊपरी परत और चांद की सतह पर शोध करेगा. विक्रम अपने चौथे उपकरण लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर के जरिये वहां मैपिंग और दूरी संबंधी शोध करेगा.
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