जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की निराली छटा इन दिनों जगदलपुर में देखने को मिल रही है. नवरात्र पर्व के दौरान यूं तो उपवास रहने की परम्परा है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की बस्तर में एक ऐसा साधक भी है जो एक ही जगह पर पूरे नौ दिनों तक भूखे प्यासे बैठा रहकर कठोर तपस्या में लीन रहता है. ये साधना भी खुद के लिए नहीं बल्कि बस्तर दशहरे पर्व के निर्विघ्न संपन्न होने की कामना लिए होती है.
बता दें कि बस्तर का दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है और इसमें लाखों की संख्या में आदिवासी समेत सभी समाज समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं. बस्तर का दशहरा रावण के वध का नहीं बल्कि आदिशक्ति मां दंतेश्वरी के पूजन का पर्व है. 75 दिनों की अवधि में इसकी 12 से अधिक महत्वपूर्ण रस्में निभाई जाती हैं और इतने बड़े आयोजन में कोई अनहोनी न हो इसलिए जोगी साधना में लीन रहता है.
Bureau Report
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