कुआलालंपुर: भड़काऊ भाषण देने के कारण भगोड़े धार्मिक उपदेशक जाकिर नाईक के सावर्जनिक रूप से बयानबाजी करने पर मलेशिया में पाबंदी लगा दी गई है. इसके बाद पहली बार मलेशिया के प्रधानमंत्री डॉ महाथिर मोहम्मद ने इस मसले पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. मलेशियाई मीडिया के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि जाकिर नाईक को भारत वापस भेजा जा सकता है तो उन्होंने कहा, ”अधिकांश देश उसे नहीं चाहते. मैं प्रधानमंत्री मोदी से भी मिला था, उन्होंने भी उसके बारे में बात नहीं की. ये आदमी भारत के लिए भी परेशानी का सबब बन सकता है.”
इसके साथ ही डॉ महाथिर ने कहा, ”जाकिर नाईक इस देश का नागरिक नहीं है. पिछली सरकार ने उसको यहां का परमानेंट स्टेटस दिया था. ऐसे लोगों से देश की व्यवस्था या राजनीति पर टिप्पणी करने की अपेक्षा नहीं की जाती. उसने इसका उल्लंघन किया. इस कारण उसके बोलने पर पाबंदी लगा दी गई.”
उल्लेखनीय है कि हिंदुओं के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी के आरोप में घिरे विवादित धार्मिक उपदेशक जाकिर नाईक पर मलेशिया के राज्य मेलाका ने धार्मिक भाषण देने पर पिछले अगस्त में प्रतिबंध लगा दिया है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक मेलाका के मुख्यमंत्री आदिली जाहरी ने कहा कि हम यहां सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहते हैं. इसलिए हमने जाकिर को यहां धार्मिक भाषण देने या लोगों को एकत्र करने पर पाबंदी लगा दी है. मेलाका इस तरह जाकिर पर पाबंदी लगाने वाला मलेशिया का सातवां राज्य हो गया है. इससे पहले जोहोर, सेलांगोर, पेनांग, केदाह, परलिस और सरावाक राज्य अपने यहां जाकिर के धार्मिक भाषण देने पर प्रतिबंध लगा चुके हैं.
पुलिस का समन
इस बीच भारत से भागकर मलेशिया में रह रहे विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक से नस्लीय टिप्पणी के आरोप में मलेशियाई सरकार की एजेंसी पूछताछ कर रही हैं. जाकिर ने हाल में मलेशिया के मुस्लिम बहुल होने के बावजूद हिंदुओं के पास ढेर सारे अधिकार होने की बात कही थी. दरअसल जाकिर ने कहा कि मलेशिया में हिंदुओं को भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिमों की तुलना में 100 गुना अधिक अधिकार मिले हैं. इस नस्लीय टिप्पणी का भारतीय समुदाय ने सख्त विरोध किया था. इसे आपसी भाई-चारे, सौहार्द और समानता के अधिकार के खिलाफ टिप्पणी के रूप में देखा गया. इसके बाद मलेशिया सरकार ने जाकिर के खिलाफ एक्शन लेते हुए उसको समन जारी पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था.
Leave a Reply