सोशल मीडिया का दुरुपयोग बहुत खतरनाक है, सरकार सख्त नियम बनाएः सुप्रीम कोर्ट

सोशल मीडिया का दुरुपयोग बहुत खतरनाक है, सरकार सख्त नियम बनाएः सुप्रीम कोर्टनईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि कहा-देश में सोशल मीडिया का दुरुपयोग बेहद खतरनाक है.सरकार को इससे निपटने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए. जस्टिस दीपक गुप्ता ने केंद्र सरकार से कहा कि ना सुप्रीम कोर्ट और ना ही हाईकोर्ट इस पर गाइडलाइन बना सकती है बल्कि केवल सरकार ही इस पर रोक के कदम उठा सकती है.

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि सोशल मीडिया के लिए सख्त दिशानिर्देश होने चाहिए,’मेरी प्राइवेसी सुरक्षित नहीं है, मैं तो स्मार्टफोन छोड़ने की सोच रहा हूं. ‘

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो तीन हफ्ते के अंदर बताए कि वो कितने समय के अंदर सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल को रोकने के लिए दिशा निर्देश बनाने जा रही है.कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति विशेष की निजता व प्रतिष्ठा और देश की सम्प्रभुता के बीच संतुलन कायम करने की ज़रूरत है.

सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर जस्टिस दीपक गुप्ता ने टिप्पणी की, कहा- ‘लोग सोशल मीडिया पर AK47 भी खरीद सकते हैं.जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा लगता है कि स्मार्टफोन छोड़ देना चाहिए और फिर से फीचर फोन की तरफ लौट जाना चाहिए जैसे गुप्ता ने कहा कि सरकार बहुत ही पावरफुल है और लोगों के अधिकार की रक्षा कर सकती हो ऐसे में उसे इस मामले में दिशा निर्देश तैयार करने चाहिए और निगरानी के लिए व्यवस्था करनी चाहिए.

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि ऑनलाइन अपराध करने वालों को ट्रैक करने कि जरूरत है. हम उन्हें सिर्फ यह कहकर नहीं छोड़ सकते कि हमारे पास यह तकनीक नहीं है.हमें अपराध करने वालों को सबक देने कि जरूरत है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत निजता और देश कि संप्रभुता के बीच संतुलन होना चाहिए.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में वॉट्सअप और फेसबुक ने याचिका दाखिल कर देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है.मद्रास, बॉम्बे और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में इनसे संबंधित कई याचिकाएं लंबित हैं.

याचिका में मांग की गई है कि फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया को आधार से जोड़ा जाए ताकि पोस्ट डालने वाले की पहचान आसान हो सके.सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. केंद्र सरकार को कोर्ट में यह बताना है कि सोशल साइट्स को रेगुलेट करने के लिए कोई दिशानिर्देश बना रहे हैं या नहीं.

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