नईदिल्ली: स्टील सेक्टर के कर्मचारियों, अधिकारियों और श्रमिकों के साथ संवाद स्थापित करने के क्रम में मंगलवार को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा स्टील मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्पात क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों और अनुबंधित (ठेका) कर्मचारियों के संगठनों से ख़ास बातचीत की. इस दौरान प्रधान ने इकोनॉमी की बुनियाद समझे जाने वाले इस्पात क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों एवं अनुबंधित कर्मचारियों की समस्यायों, चुनौती एवं सरकार से उनकी अपेक्षाओं पर बात की.
इस दौरान अलग-अलग ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने इस्पात मंत्री के सामने श्रमिकों के लिए लागू लेबर वेलफेयर स्कीम, मानव संसाधन के नियोजन, श्रमिकों की सुरक्षा, उनके प्रशिक्षण (कौशल विकास), वेतन निर्धारण (वेज बोर्ड), आवास सुविधाओं समेत कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी.
मंत्री की प्राथमिकता में ये मुद्दे
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि श्रमिकों के हितों के समाधान से ही स्टील सेक्टर अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगा. उन्होंने ट्रेड यूनियन के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि उनका मंत्रालय हर श्रमिक को उसका उसका भुगतान डिजिटल प्रक्रिया से सीधे उसके खाते में करने की नीति को प्राथमिकता दे रहा है. इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी या अन्य शहरों में बुनियादी सुविधाओं का विकास श्रमिकों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.
इस मौके पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि सेल और अन्य इस्पात उपक्रमों द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं को आधुनिक बनाकर उनका विस्तार किया जाएगा. ख़ास बात यह है कि ट्रेड यूनियन के सदस्यों से बातचीत में प्रधान ने एक बात साफ कही कि लागत और श्रमिकों के हित एक दूसरे के पूरक हैं न कि अलग-अलग मुद्दे.
मंत्री की पहल की सराहना
इस मौके पर ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों ने श्रमिकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए पहली बार इस्पात मंत्री की ओर से आमंत्रित कर संवाद स्थापित किए जाने की पहल की सराहना की गई. उल्लेखनीय है कि इस्पात मंत्रालय का जिम्मा संभालते ही स्टील मंत्री ने इस क्षेत्र में कार्यरत मानव संसाधन के नाम एक खुला खत लिखकर अर्थव्यस्था में उनके योगदान की सराहना की थी. अपने झारखण्ड दौरे में उन्होंने कहा था कि देश की इकॉनमी को 5 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर ले जाने में सभी को टीम भावना से कार्य करना होगा.
Bureau Report
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