भोपालः सरदार सरोवर को लेकर मध्य प्रदेश सरकार और गुजरात सरकार के बीच तल्खी इतनी ज्यादा हो गई है कि मध्य प्रदेश सरकार कड़ा निर्णय लेने की तैयारी कर रही है. सरदार सरोवर में क्षमता से ज्यादा पानी भरने के चलते मध्य प्रदेश के तकरीबन 60 से ज्यादा गांव पूरी तरीके से जलमग्न हैं. बांध से गुजरात ने 30 दिन में 136 मीटर उंचाई तक पानी भरने से मध्यप्रदेश के तकरीबन 26 हजार परिवार डूब का संकट में हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने पहले एसीएस और एनवीडीए के वाइस चैयरमेन एम गोपाल रेड्डी ने एनसीए चैयरमेन व केंद्रीय जलसंसाधन सचिव यूपी सिंह को कड़ा पत्र लिखा, फिर एमपी सीएम कमलनाथ ने गुजरात सरकार को पत्र लिखा, लेकिन नतीजा सिफर रहा.
कई बार के आवेदन निवेदन पर गुजरात सरकार नहीं मानी. दोनों ने ही गुजरात द्वारा वादा तोड़ने पर ऐतराज जताया है. इसमें एनसीए द्वारा 10 मई 2019 को तय डैम को भरने के शेड्यूल का उल्लेख है. गुजरात ने इसका पालन नहीं किया है. इसके पहले गुजरात की मनमानी की वजह से बड़वानी के छोटा बड़दा में जहां नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर अनशन पर बैठीं थीं, वहां तक बैकवाटर पहुंच गया था. आज फिर पाटकर सीएम कमलनाथ से मुलाकात करने जा रही हैं.
बता दें इस बांध में 30 सितंबर तक 135 मीटर पानी भरना था, लेकिन गुजरात सरकार ने शेड्यूल को दरकिनार कर डैम 3 सितंबर को डैम 135.12 मीटर से ज्यादा भर दिया. इस पर मध्य प्रदेश नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह हनी बघेल का कहना है कि गुजरात के पानी भरने के पीछे एनसीए की सब कमेटी ने एकतरफा फैसला है. इस सब कमेटी ने मध्यप्रदेश को भरोसे में लिए बिना ही डैम 31 अगस्त तक 134.18 मीटर और 30 सितंबर 2019 तक 137.72 मीटर भरने का लिख दिया था. मध्यप्रदेश सरकार ने इस पर ऐतराज जताया है, कि कोई सब कमेटी कैसे फैसला ले सकती है.
मध्य प्रदेश सरकार इस मामले को लेकर आर-पार के मूड में है. नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह हनी बघेल इस पूरे मामले को लेकर एक तरफ जब पूर्व की बीजेपी सरकार पर पुनर्वास की गलत जानकारी देने का ठीकरा फोड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर गुजरात सरकार के इस रवैए पर कड़ा फैसला लेने की तैयारी की बात कह रहे हैं. फिर भले पानी ही क्यों ना रोकना पड़े. वहीं खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ गुजरात सीएम विजय रुपाणी से इस मामले को लेकर बात कर रहे हैं.
Bureau Report
Leave a Reply