नईदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में 10 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप फिर बच्ची और उसके भाई की हत्या के मामले में दोषी मनोहरन की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. इस पुर्नविचार याचिका के खारिज होने के बाद दोषी मनोहरन की फांसी की सजा पर एक फिर से मुहर लग गई है.
दरअसल, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मनोहरन की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने दोषी की पुनर्विचार याचिका पर ये आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान दोषी के वकील ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सात वकील बदले जा चुके है, जिसकी वजह से निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दोषी अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रख पाया है.
आपको बता दें कि दोषी मनोहरन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. दोषी को 20 सितंबर को फांसी दी जानी थी. मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर इसी साल एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2:1 के बहुमत से फैसला दिया था. कोर्ट ने इस मामले में दोषी मनोहरन की मौत की सज़ा को बरकरार रखा था, जिसमें जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे. जस्टिस संजीव खन्ना ने फांसी दिए जाने के फैसले से असहमति जताई थी.
गौरतलब है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने मनोहरन को मौत की सजा सुनाई थी. इस मामले के एक अन्य आरोपी पुजारी मोहनकृष्णन को आरोपी बनाया गया, लेकिन बाद में मोहनकृष्णन एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. मनोहरन को ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई, जिसपर बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी थी.
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