महाराष्ट्र: ‘प्रोटेम स्पीकर’ के लिए इन 3 नामों की है चर्चा, जानिए कौन हैं ये…

महाराष्ट्र: 'प्रोटेम स्पीकर' के लिए इन 3 नामों की है चर्चा, जानिए कौन हैं ये...मुंबई: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की सरकार को कल (बुधवार) को बहुमत साबित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि कल शाम 5 बजे तक प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में बहुमत परीक्षण हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुंबई में कैबिनेट की बैठक हो रही है. डिप्टी सीएम अजित पवार सीएम देवेंद्र फडणवीस से मिलने पहुंचे हैं. बता दें कि फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों को शपथ दिलवाई जाती है और उसके बाद बहुमत परीक्षण होता है. 

सीएम फडणवीस ने महाराष्ट्र के विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे को बुलाया. हरिभाऊ फडणवीस के वर्षा बंगले पर पहुंचे. सरकार को राज्यपाल के पास प्रोटेम स्पीकर के लिए नाम भेजने हैं. ऐसा बताया जा रही है कि इस लिस्ट में 6 नामों की चर्चा है. जिनमें बीजेपी के 3, कांग्रेस के 2 और एनसीपी के 1 विधायक के नाम शामिल है. वर्तमान ने महाराष्ट्र विधानसभा मे कुछ जो सबसे सीनियर मेंबर है  उनसे से है बाला साहेब थोराट- कांग्रेस पार्टी, एनसीपी से बीजेपी में आए बबनराव पांचपुते, कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में आए कालीदास कोलंबकर. ये तीनों ही सबसे सीनियपर मोस्ट विधायक है.

इनके अलावा बीजेपी के ही राधाकृष्ण विखे पाटिल और कांग्रेस के केसी पडवी और एनसीपी के दिलीप विलसे पाटिल के नामों की भी चर्चा है.

विधायकों को शपथ प्रोटेम स्पीकर दिलवाता है. प्रोटेम स्पीकर आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को बनाया जाता है. इस लिस्ट में तीन नामों की चर्चा है. इनमें कालीदास कोलंबर, बब्बनराव पाचुपते और बालासाहब थोराट है. कालीदास कोलंबर 8 बार विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में वह मुंबई की वडाला सीट से विधायक हैं. दूसरा नाम बबनराव पचुपते का है, बबनराव अहमदनगर जिले की श्रीगोंडा विधानसभा से विधायक हैं. यह 7 बार विधायक रह चुके हैं. इनके अलावा महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहब थोराट का नाम भी प्रोटेम स्पीकर के लिए चर्चा में हैं. बालासाहब थोराट 8 बार विधायक रह चुके हैं.

आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यो को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष ) का चुनाव कराना होता हैं. लेकिन जब प्रोटेम स्पीकर के जरिए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही गई है तो उसका रोल काफी महत्वपूरण हो जाता हैं.  आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक यानि जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतकर आया हो , उसे प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है लेकिन राज्यपाल इसे माने ये जरूरी नही है.  विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायको के नाम भेजे जाते है और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है, ये राज्यपाल के विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने. 

जैसा कि साल 2018  में कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई ने बीजेपी नेता के.जी. बोपाया को प्रोटेम स्पीकर बनाया कांग्रेस पार्टी की आर. वी देशपांड़े की जगह. 

महाराष्ट्र में सरकार गठन पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, कल शाम 5 बजे से पहले हो फ्लोर टेस्ट
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की एक संयुक्त याचिका पर आदेश दिया है कि कल (बुधवार) शाम 5 बजे से पहले विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हो. सुप्रीम कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट गुप्त मतदान के जरिए ना हो इसका लाइव प्रसारण भी हो.

जस्टिस रमना ने आज मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट और विधायिका के अधिकार पर लंबे समय से बहस चली आ रही है. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए और लोगों को अच्छे शासन का अधिकार है. इस मामले ने राज्यपाल की शक्तियों को लेकर बहुत अहम संवैधानिक मुद्दे को उठाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक और उत्तराखंड के मामलों को भी जिक्र किया. कल सुबह 11 बजे विधायकों का शपथ ग्रहण हो, शाम 5 बजे तक बहुमत परीक्षण हो. कोर्ट ने कहा कि विधायकों को शपथ प्रोटेम स्पीकर करवाएंगे. कोर्ट ने कहा कि संसदीय परम्पराओं में कोर्ट का दखल नहीं लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए फ़ैसला सुना रहे है.

सरकार को नीतिगत फ़ैसला लेने से रोकन पर कोर्ट ने कुछ नहीं कहा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तत्काल बाद कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि जब तक फ्लोर टेस्ट नहीं होता, तब तक फडणवीस सरकार को नीतिगत फ़ैसला या कोई बडा फ़ैसला लेने पर रोक लगाई जानी चाहिए. कोर्ट ने इसपर कोई आदेश नहीं पारित किया. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी और अजीत पवार व सभी पक्षकारों को 8 सप्ताह का समय इस मुद्दे पर  जवाब दायर करने के लिए दिया है कि राज्यपाल के निर्णय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है या नहीं. जस्टिस रमना ने कहा कि इस मामले में महाराष्ट्र में बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट का अंतरिम आदेश जारी करना जरूरी है. लोकतांत्रिक मूल्यों को बने रखने के लिए ये जरूरी है, लोगों को अच्छे शासन का अधिकार है.

Bureau Report
 
 

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