नईदिल्ली: आज से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में कई अहम बिलों के पेश होने और पास कराए जाने की संभावना है. सूत्रों की मानें तो संसद में कुल 43 बिल पेंडिंग है. जिनमें से 12 बिल विचाराधीन हैं और 7 बिल ऐसे हैं जिन्हें सरकार को वापस लेने हैं. वहीं 35 बिल ऐसे हैं जिन्हें सदन में लाना है या पास करवाना है. ऐसा बताया जा रहा है कि इस सत्र में कुल मिलाकर सत्र के दौरान 20 बैठके होंगी. खबर है कि सरकार लगभग 11 नये बिल ला रही है. जिनमें से सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल सरकार की पहली वरीयता में है.
इनके अलावा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 पर बहस, बैंक जमा पर इंशोरेंस कवर भी इस सत्र के दौरान चर्चा के लिए लिस्ट में शामिल हैं. ये बिल मुख्य रूप से आने वाले हैं.
– टैक्सेशन ला अमेंडमेंट बिल 2019(रिप्लेस आर्डीनेंस)
– इलेक्ट्रानिक सिगरेट पर पाबंदी संबधी बिल(रिप्लेस आर्डीनेंस)
– इंसाल्वेंस एंड बैंकरप्सी(सेकेंड अमेंडमेंट बिल 2019)
– मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी अमेंडमेंट बिल
– नेशनल पुलिस युनिवर्सिटी बिल
– सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल
– नेशनल रिवर गंगा बिल
– पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल
– सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल 2019
सत्र शुरू होने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2019 का ये आखिरी सत्र बेहद महत्वपूर्ण है. इस संबंध में मैंने सभी दलों के नेताओं से बात की है. उम्मीद है कि पिछले सत्र की तरह ही इस बार भी बेहद सकारात्मक नतीजे निकलेंगे. आज से राज्यसभा का 250वां सत्र भी शुरू हो रहा है. ये सत्र देश के लिए जागरुकता अभियान बन सकता है.
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस है. संविधान दिवस के 70 साल अपने आप में सदन के माध्यम से देशवासियों के लिए जागृति का अवसर बन सकता है. हर किसी की सक्रिय और सकारात्मक भूमिका के कारण गत सत्र अभूतपूर्व रहा. ये सिद्धि पूरे सदन की होती है. जैसे पिछली बार, सभी दलों के सहयोग के कारण, सभी सांसदों के सक्रिय सहयोग के कारण, गत सत्र अभूतपूर्व रहा. उसी तरह इस सत्र के सकारात्मक होने की उम्मीद है. सकारात्मक भूमिका के लिये सभी का आह्वान करते हैं. सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा चाहते हैं, उत्तम से उत्तम बहस हो ये आवश्यक है. वाद हो, विवाद हो, संवाद हो, बुद्धि शक्ति का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल करें.
27 बिल पेश किए जाएंगे
शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के उद्देश्य से नागरिकता (संशोधन) विधेयक समेत 27 अहम बिल पेश करेगी. नागरिकता कानून में बदलाव के जरिए सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के बाद भारत आकर बसे गैर-मुस्लिमों जैसे- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को स्थाई नागरिकता देना चाहती है. मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी नागरिकता विधेयक को संसद में पेश किया था, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका.
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