नईदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से कहा है कि वो 4 हफ्ते में सबरीमाला अयप्पा मंदिर प्रशासन और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए अलग से क़ानून पेश करें. कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में केरल सरकार को सबरीमला मन्दिर के नया कानून लाने के लिए कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने त्रावनकोर- कोचीन रिलीजियस इंस्टिट्यूशन एक्ट का ड्राफ्ट पेश किया. दरअसल सरकार सबरीमाला और बाकी मंदिरों के लिए संयुक्त रूप से क़ानून लाना चाह रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एतराज जाहिर किया.
कोर्ट ने कहा, ‘सबरीमाला मन्दिर के लिए अलग से क़ानून होना चाहिए. कोर्ट ने सरकार को क़ानून लाने के लिए अगले साल जनवरी के तीसरे हफ्ते तक का वक़्त दिया है.’
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर पर कहा- हमारे आदेश की अवहेलना न की जाए
इससे पहले 15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस रोहिंग्टन फली नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सबरीमाला मंदिर पर आदेश याद दिलाते हुए कहा था कि हमारे आदेश की अवहेलना न की जाए. आपकी ज़िम्मेदारी है कि उसका पालन करवाएं. सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर व दूसरी धार्मिक जगहों पर महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को गुरुवार को सात जजों की बड़ी पीठ को भेज दिया है. इसके चलते मंदिर में महिलाओं के दाखिल होने का पुराना फैसला अभी बना हुआ है.
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 28 सितंबर 2018 के फैसले पर कोई स्टे नहीं है, जिसमें 10 व 50 आयु के बीच की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के प्रतिबंध को हटा दिया गया है. इसके मायने हैं कि सभी आयु वर्ग की महिलाएं बड़ी पीठ का फैसला आने तक मंदिर की यात्रा कर सकती हैं. सबरीमाला का दो महीने लंबा सीजन रविवार से शुरू हो रहा है, ऐसे में मंदिर की ऑनलाइन बुकिंग सुविधा के जरिए 36 महिलाओं ने पंजीकरण कराया है. संयोग से यह पंजीकरण सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से पहले हुआ है.
Bureau Report
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