नईदिल्लीः अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष और अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद ही थी और वह सही जगह पर बनी थी. इसका मतलब यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो जगह राम मंदिर बनाने के लिए दी है, उस पर मुसलमानों का अधिकार है. अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट ने जो भी फैसला दिया है, उस फैसले की सही कॉपी नहीं मिली है, जो भी मिली है उसको उर्दू में ट्रांसलेट करवा रहे हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो भी फैसला दिया है वह हमें समझ नहीं आया है.
मौलाना सैयद अरशद मदनी ने आगे कहा कि, जब कोर्ट ने हिंदुओं को जमीन देने के आदेश दे दिए हैं तो हमें पांच एकड़ जमीन की पेशकश क्यों कि. अगर उस जमीन पर उनका हक है तो हमें बदले में पांच एकड़ जमीन क्यों दी जा रही है. हमने तो जमीन नहीं मांगी थी. हमें मस्जिद के लिए कहीं और जमीन की पेशकश मंजूर नहीं है. क्योंकि यह मामला जमीन का नहीं बल्कि मालिकाना अधिकार का था. अगर जमीन मस्जिद की नहीं है तो अलग से जमीन देने का आदेश क्यों दिया गया.
अगर कोर्ट कहता कि उस जमीन पर मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई है तो हमें उस फैसले पर कोई ऐतराज नहीं होता. क्योंकि अगर वह मस्जिद बाबर ने मंदिर को गिराकर या कब्जा करके बनाई है तो वह इस्लाम में मस्जिद नहीं है. इसलिए हम इस बात को नहीं कहते कि वहां दोबारा से मस्जिद बनाई जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इसके कोई सबूत नहीं हैं कि वहां मंदिर था, जिसे गिराकर बाबर ने मस्जिद बनाई थी. इसका मतलब है कि मस्जिद सही जगह पर बनी है और उस जमीन पर मुसलमानों का ही अधिकार है.
Bureau Report
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