नईदिल्ली: केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि कांग्रेस नेता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिया जाए. हरसिमरत कौर का यह बयान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के उस बयान के जवाब में आया है कि जिसमें उन्होंने दावा किया था कि यदि तत्कालीन गृह मंत्री नरसिंह राव ने इंद्रकुमार गुजरात की सलाह मान ली होती तो सिख विरोधी दंगों को रोका जा सकता था. आज हसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया, ‘पूर्व पीएम मनमोहन सिंह द्वारा 1984 सिख विरोधी दंगों मे राजीव गांधी और उनके सहयोगियों की भूमिका स्पष्ट करने के बारे में मैं देशवासियों से पूछती हूं कि क्या ऐसा व्यक्ति भारत रत्न सम्मान के लायक है? क्या उसके नाम पर किसी संस्थान का नाम होना चाहिए? मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करती हूं कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिया जाए.
वहीं अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने भी पीएम मोदी से अपील की है कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिया जाए.
जावड़ेकर ने ’84 के दंगों पर मनमोहन की टिप्पणी की निंदा की
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1984 के सिख विरोधी दंगों पर की गई टिप्पणी की निंदा की। जावड़ेकर ने पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा, “मनमोहन जी, किसी भी मुद्दे से निपटने के लिए सेना को आदेश देना प्रधानमंत्री का काम है और राजीव गांधी उस समय प्रधानमंत्री थे। लेकिन सच तो यह है कि उन्होंने खुलेतौर पर नरसंहार का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है। ये उनके समर्थन के शब्द थे।”
मनमोहन ने कहा है कि 1984 के दंगों से बचा जा सकता था, अगर नरसिम्हा राव ने इंद्रकुमार गुजराल की सलाह मान ली होती। उन्होंने कहा, “जब 1984 की दुखद घटना हुई, तो उस शाम गुजराल जी तत्कालीन गृहमंत्री नरसिम्हा राव के पास गए और उन्हें बताया कि स्थिति इतनी विकट है कि सरकार द्वारा जल्द से जल्द सेना बुलानी आवश्यक है। अगर उस सलाह पर ध्यान दिया जाता तो 1984 में हुआ नरसंहार शायद टाला जा सकता था।”
जावड़ेकर ने गुरुवार को सिंह से सवाल किया कि वे राव के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में वित्तमंत्री क्यों बने, अगर उनके मन में इस तरह की प्रतिकूल भावनाएं थीं। उन्होंने कहा कि सिंह का बयान यह स्वीकार करता है कि दंगे कांग्रेस की गलती के कारण हुए। 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों में काफी लोगों की जान गई थी। जब दो सिख अंगरक्षकों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी, उसके बाद आक्रोश फूटा और दंगे हुए थे।
Bureau Report
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