कोटा: मासूमों की जान से खुलेआम हो रहा खिलवाड़, गैस सिलेंडरों से दी जा रही ऑक्सीजन

कोटा: मासूमों की जान से खुलेआम हो रहा खिलवाड़, गैस सिलेंडरों से दी जा रही ऑक्सीजनकोटा: इसे लापरवाही कहें या अनदेखी, संभाग में बच्चों के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल में नवजातों को गैस सिलेंडरों से ही ऑक्सीजन दी जा रही है. इन सिलेंडरों में ऑक्सीजन कब खत्म हो जाए, पता नहीं चलता. बच्चों को ऑक्सीजन देने की यह प्रक्रिया जोखिम भरी है. 

यूं तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन बेहतर और सुपर स्पेशयलिटी सेवाएं देने का दावा करता है. जिला कलेक्टर से संभागीय आयुक्त, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य तक कई बार अस्पतालों का निरीक्षण कर चुके व्यवस्थाओं का जायजा ले चुके हैं लेकिन हैरानी की बात है आज तक किसी जिम्मेदार ने उच्चाधिकारियों को इस समस्या से अवगत तक नहीं कराया बल्कि सबकुछ ठीक-ठाक बताकर वाह-वाही बटोरता रहा.

सूत्रों की मानें तो अस्पताल प्रशासन, कार्मिको को शिकायत करने पर चुप रहने की सलाह देता रहा. इधर आक्सीजन खत्म होने की स्थिति में इधर दबी जुबान में भाग-दौड़ कर कर्मचारियों सिलेंडरों की व्यवस्था करके काम चलाते रहते हैं.

चार साल से नहीं डली लाइन
अस्पताल में नए बने पीआईसीयू में तो यह लाइन डली है. इससे जुड़े एनआईसीयू में ऑक्सीजन सेंट्रल लाइन बिछनी है. ऑक्सीजन सेंट्रल लाइन बिछाने की योजना चार वर्षों से चल रही है लेकिन अस्पताल प्रशासन महज 30 फीट लंबी ऑक्सीजन सेंट्रल लाइन अब तक नहीं बिछा सका. एनआईसीयू इमरजेंसी में ही सबसे पहले गंभीर नवजात भर्ती होते हैं. औसत यहां 30 -35 नवजात प्रतिदिन रहते हैं. यहां 24 वॉर्मर हैं. इनको ऑक्सीजन पाइप लाइन से इन्हें जोडऩा है लेकिन ऑक्सीजन लाइन डालने ही योजना कागजों में घूम रही है. एनआईसीयू में ऑक्सीजन सिलेंडर से काम चलाया जा रहा है. यहां प्रतिदिन 10-12 छोटे-बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए जाते हैं.

क्या कहना है मेडिकल कॉलेज प्राचार्य
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना का कहना है कि इस बारे में किसी ने मुझे जानकारी नहीं दी. अस्पताल का राउंड लेने के दौरान भी नहीं बताया गया. अब जानकारी मिल गई है. जल्दी ही लाइन डलवाई जाएगी. 

जेके लोन अस्पताल अधीक्षक ने कही ये बात
जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉ. एच.एल. मीणा ने बताया कि अस्पताल में एनआईसीयू में ऑक्सीजन सेंट्रल लाइन बिछाने के लिए टेंडर जारी करने के लिए तीन चिकित्सकों की तकनीकी कमेटी बनाई थी. उनकी रिपोर्ट के आधार पर टेंडर जारी करने के प्रयास किए थे, लेकिन इसी बीच एमआरएचएम ने पीआईसीयू पर काम शुरू कर दिया. इस कारण हम टेंडर नहीं कर पाए. एमआरएचएम का बजट खत्म होने से काम अटक गया. अब फिर से टेंडर जारी करेंगे. इसके लिए फाइल चला दी है. फरवरी-मार्च तक लाइन बिछा दी जाएगी.

Bureau Report

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