नईदिल्ली: रिलायंस Jio के बाजार में उतरने के साथ ही मोबाइल यूजर्स को सभी बड़ी टेलेकॉम कंपनियों ने मुफ्त डेटा और कॉलिंग के प्लान देना शुरु किया था. तब से लेकर अब तक आपकी ज्यादातर कॉल मुफ्त ही होती हैं और रोजाना 1-2 GB मुफ्त डेटा भी मिलता रहा है. लेकिन अगर दूरसंचार नियामक का नया नियम लागू हुआ तो आपको इस मुफ्त या बेहद कम कीमत वाले ऐसे प्लान का मजा छोड़ना पड़ सकता है. दूरसंचार नियामक ने मिनिमम टैरिफ तय करने के लिए Consultation Paper जारी किया है. इसके तहत भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण मोबाइल फोन कॉल और डेटा के लिए न्यूनतम दर तय करेगा. प्रस्तावित व्यवस्था लागू होने से मुफ्त कॉल और सस्ते डेटा का दौर खत्म हो जाएगा.
हमारी सहयोगी वेबसाइट ज़ी बिजनेस के अनुसार दूरसंचार कंपनियों ने टैरिफ रेगुलेशन के लिए TRAI को लिखा है. हालांकि पहले उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया था. उनका मत था कि टैरिफ तय करना कंपनियों के अधिकार में होना चाहिए.
प्राधिकरण ने 17 जनवरी तक सुझाव मांगे
TRAI ने न्यूनतम शुल्क दरों के बारे में 17 जनवरी तक सुझाव मांगें हैं. भारती एयरटेल क्षेत्र की व्यवर्हायता के लिये मिनिमम टैरिफ की मांग करती रही है. रिलायंस जियो की फोन पर मुफ्त बातचीत और सस्ता डेटा शुल्क की पेशकश से प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ा है.
बाजार में चल रहे उठापटक में आएगी कमी
दरअसल मुफ्ट कॉल या फ्री डेटा बांटने के मामले में कुछ बड़ी कंपनियां घाटा उठाकर भी ग्राहकों के बीच पॉपुलर हो जाते हैं. ज्यादा पैसा होने की वजह से ऐसा घाटा उठाना संभव है. लेकिन दूसरी कंपनियों को दबाव में आकर अपने प्लान भी ऐसे मुफ्त योजनाओं के आसपास रखना पड़ता है. ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा के मुताबिक टेलिकॉम शुल्क तय होने से बाजार में समानता आएगी. कंपनियां मनमानी नहीं कर पाएंगी. नियामक इस दिशा में सोच रहा है. शर्मा के मुताबिक नियामक ग्राहकों के संरक्षण, कम्पीटीशन और सेक्टर की तरक्की पर काम करता है.
2017 में भी उठी थी मांग
बताते चलें कि 2017 में टेलिकॉम कंपनियों ने दूरसंचार नियामक से मिनिमम टैरिफ तय करने का प्रस्ताव किया था. लेकिन उस समय इस पर सहमति नहीं बन पाई थी.