जामिया-AMU हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल से इनकार, कहा- याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाएं

जामिया-AMU हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल से इनकार, कहा- याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाएंनईदिल्‍ली: जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और AMU में हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई मेें अपने फैसले में स्‍पष्‍ट रूप से दखल देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाईकोर्ट जाने की सलाह दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मामले में जांच के आदेश दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट एक पूर्व जज या हाईकोर्ट के पूर्व जज द्वारा, लेकिन केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार को सुनने के बाद हाईकोर्ट गिरफ्तारी और मेडिकल सुविधा को लेकर आदेश जारी कर सकता है. इस तरह प्रदर्शन में शामिल छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक से सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर मना कर दिया. न्‍यायालय ने कहा कि चूंकि मामला कई राज्यों में फैला है, हमारा मानना है कि एक जांच कमिटी गठित करने से नहीं होगा. 

चीफ़ जस्टिस ने कहा कि हम इस मामले में पक्षपाती नहीं हैं, लेकिन जब कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या करेगी? कोई पत्थर मार रहा है, बस जला रहा है. हम पुलिस को FIR दर्ज करने से कैसे रोक सकते हैं? CJI ने कहा कि CAA के खिलाफ प्रदर्शन में जिन स्टूडेंट्स को चोटें आईं हैं, उन्हें हाईकोर्ट जाना चाहिए. हाईकोर्ट उनकी शिकायतों पर सुनवाई कर सकता है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई छात्र गिरफ़्तार नहीं किया है. 31 पुलिसकर्मियों को चोटें आई. 67 लोगों को चोटें आईं, जिन्हें पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया. यहां पर UP पुलिस और दिल्ली पुलिस दोनों की तरफ से आला अधिकारी मौजूद हैं. आप इनसे पूछ सकते हैं.

सीजेआई ने कहा कि हम आपका बयान दर्ज करेंगे कि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई… लेकिन, अवैध गतिविधियां नहीं हो सकती हैं. पुलिस के पास ऐसी सभी आपराधिक गतिविधियों को समाप्त करने का अधिकार है.

वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पुलिस ने छात्रों को बेरहमी से पीटने के साथ साथ उनपर FIR भी दर्ज की हैं. उनके करियर का सवाल है. उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? जामिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों पर दर्ज केस में उनकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. यह स्थापित कानून है कि यूनिवर्सिटी प्राइवेट प्रॉपर्टी होती है. वहां पर पुलिस को घुसकर छात्रों की पिटाई करने का अधिकार नहीं था. पुलिस वहां पर केवल वाइस चांसलर की अनुमति से ही जा सकती थी. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पुलिस ने छात्रों को बेरहमी से पीटा. कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं. उन्हें तुरंत उपचार की निशुल्क सुविधा मिलनी चाहिए.

चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कोई चिल्‍लाने वाला मैच नहीं है. यह आपके चिल्लाने का स्थान नहीं है. सिर्फ इसलिए कि एक बड़ी भीड़ है और मीडिया मौजूद है. जामिया स्टूडेंट्स की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि अगर शांति की जरूरत है तो FIR दर्ज नहीं होनी चाहिए. छात्रों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए.

सीजेआई ने कहा कि अगर कहीं पर कोई सावर्जनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो क्‍या कार्रवाई की जाए, आप सुझाएं? अगर पुलिस अधिकारी के सामने पत्‍थरबाजी हो रही है तो क्‍या एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए. CJI ने कहा कि अलग-अलग जगहों पर हुई घटनाओं में विभिन्न अथॉरिटी ने अलग-अलग कदम उठाए हैं.

केस की सुनवाई दोपहर करीब 12.30 बजेे शुरू हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि कितनी बसें जलाई गईं, किसने जलाईं? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि देश भर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है, जो बढ़ता ही जा रहा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अदालत को क्‍या करना चाहिए? वकील प्राचा ने कहा कि देशभर में व्‍यापक रूप से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. छात्र हमारे मार्गदर्शक हैं. SC को विरोध करने के हमारे अधिकार की रक्षा करनी होगी. यह एक घेराबंदी थी, जहां सशस्त्र पुलिस ने निहत्थे नागरिकों पर हमला किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि छात्र शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे. हिंसा करने वाले छात्र नहीं थे. इस पर CJI ने पछा कि तो बस में किसने आग लगाई? तो वकील ने कहा कि इसकी पुलिस को जांच करानी चाहिए. ये भी पता लगाना चाहिए कि हिंसा किसने की. CJI ने पूछा कि बसों को किसने जलाया. कितनी बसें जलाई गई? वकील ने कहा कि हमें नहीं पता. इस तरह की तस्वीरें भी आ रही हैं कि पुलिस व्हीकल तोड़ रही है, लेकिन मैं ऐसा नहीं कह सकता.

वकील प्राचा ने कहा कि सरकार इस बात को खराब रोशनी में चित्रित करने की कोशिश कर रही है. सीजेआई बोबडे ने कहा कि हम यहां सरकार के रुख में नहीं जा रहे हैं. हम अभी CAA 2019 पर निर्णय लेने के बिंदु पर नहीं हैं. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

इससे पहले सोमवार को वकीलों ने चीफ जस्टिस कोर्ट में इसे मेंशन किया था. मामले की सुनवाई से पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी (इंटेलिजेंस) प्रवीर रंजन और जॉइंट सीपी देवेश श्रीवास्तव सुबह करीब 10.40 बजे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे. दिल्‍ली पुलिस के ये आला अफसर हिंसा मामले में विभाग पर लगे आरोपों को लेकर अपना पक्ष रखने के लिए शीर्ष अदालत पहुंचे. न्‍यायालय अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में भी हुई हिंसा मामले पर भी सुनवाई कर रहा है. 

वहीं, यूपी पुलिस के कई आला अधिकारी भी सुप्रीम कोर्ट में मौजूद हैं. DIG (अलीगढ़ रेंज) डॉ. प्रीतेंदर सिंह भी अदालत में पहुंचे हैं. अलीगढ़ में हुई हिंसा के दौरान घायल हुए प्रीतेन्दर अभी कोर्ट में ही मौजूद हैं.

याचिकाकर्ता जामिया और AMU के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से यह की हैं मांगें…

-सुप्रीम कोर्ट पुलिस को निर्देश दे कि जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों पर कोई भी एक्शन लेने से रोका जाए.

-दोनों विश्वविद्यालयों में हुई हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की एक कमेटी का गठन किया जाए.

-बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के पुलिस को जामिया और AMU में प्रवेश करने से रोका जाए.

-घायल छात्रों को मुफ़्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए.

उधर, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद समेत देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा की जांच की मांग कर रहे वकील अश्विनी उपाध्याय की अर्ज़ी को तुरंत सुनवाई के लिए लगाने से न्‍यायालय ने इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हम इस तरह हर मामले की सुनवाई नहीं कर सकते. ऐसे मामले पहले हाईकोर्ट में जाने चाहिए. वकील अश्विनी उपाध्याय ने नागरिक संशोधन अधिनियम के विरोध में कई जा रही हिंसा की सीबीआई या NIA जांच की मांग की थी. CJI ने कहा कि हम कोई ट्रायल कोर्ट नहीं हैं. देश मे जो भी कुछ हिंसा हो रही है, उसके लिए हम अन्य के अधिकारक्षेत्र को ग्रहण नहीं कर सकते. इस तरह के आदेशों को जारी करने के लिए स्तिथि और फैक्ट अलग होने चाहिए. CJI ने कहा कि इस तरह की मांग के लिए आपको पहले हाईकोर्ट में अप्रोच करना चाहिए. हम देश के किसी भी हिस्से में होने वाली हिंसा के लिए हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को ग्रहण नहीं कर सकते.

इससे पहले सोमवार को जामिया मिलिया इस्‍लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हिंसा मामले में चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि कौन निर्दोष है और कौन गलत? हम केवल ये चाहते हैं कि जो दंगा हो रहा है वो शांत होना चाहिए. CJI ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. हिंसा हो रही है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा वे छात्र हैं, इसलिए उन्हें हिंसा करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

उधर, आज फिर सुबह से जामिया में प्रदर्शन के नागरिकता कानून में हुए संशोधन के खिलाफ जामिया में फिर विरोध-प्रदर्शन के लिए भीड़ का जुटना शुरू हुआ. इनमें ज्‍यादातर स्‍थानीय लोग हैं. जानकारी के मुताबिक नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ जामिया में प्रदर्शन किया जाएगा. दूसरी तरफ, पुलिस सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में पुलिस ने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और जामिया नगर थाने में जो FIR दर्ज की है, उसमें करीब 15 लोगों के नाम शामिल हैं. जरूरत पड़ने पर और लोगों के नाम को जोड़े जा सकते हैं. जानकारी के मुताबिक यह केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है. पुलिस वीडियो की मदद से हिंसा में शामिल लोगों की पहचान कर रही है.

पुलिस ने पहली FIR न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में आगजनी, दंगा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का दर्ज किया है. दूसरी FIR जामिया नगर थाने में दंगा फैलाने, पथराव और सरकारी काम में बाधा करने का दर्ज किया है. जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है. 

उल्‍लेखनीय है कि जामिया नगर में रविवार को छात्रों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सोमवार सुबह हालात सामान्य हो गए. दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को रिहा कर दिया. वहीं दिल्ली मेट्रो के उन स्टेशनों के गेट भी खोल दिए गए जिनको रविवार शाम बंद कर दिया गया था. वहीं दिल्ली के साउथ ईस्ट जिले में ओखला, जामिया, न्यू फ्रैंड्स कालोनी, मदनपुर खादर क्षेत्र के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को सोमवार को बंद रखने का फैसला दिल्ली सरकार ने लिया था. मनीष सिसोदिया ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी.

बता दें नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच रविवार को हुई हिंसक झड़प में कई छात्र और पुलिसकर्मी भी घायल हुई थे.

Bureau Report

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