नईदिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act- CAA) के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार (18 दिसंबर) को सुनवाई करेगा. त्रिपुरा के महाराजा और कमल हासन की पार्टी MNM ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस पूरे मामले पर जल्द सुप्रीम की मांग की थी. दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अब तक सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ दर्जन याचिकाएं दायर हो चुकी हैं. इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी थी. याचिका में नागरिकता संशोधन कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद करने की मांग की गई है.
जयराम रमेश की याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन कानून 2019 को समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला ठहराते हुए रद घोषित करे. इसके अलावा कोर्ट घोषित करे कि यह कानून 1985 के असम समझौते के खिलाफ है. यह कानून सुप्रीम कोर्ट के सरबानंद सोनोवाल में दिये गए फैसले का भी उल्लंघन करता है इसलिए इसे रद्द किया जाए. जयराम रमेश की यह भी मांग है कि कोर्ट घोषित करे कि नागरिकता संशोधन कानून अंतरर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किये हैं.
उधर, जामिया मिलिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हिंसा का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. आज कोर्ट में वकीलों ने चीफ़ जस्टिस कोर्ट में इसे मेंशन किया. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि कौन निर्दोष है और कौन गलत? हम केवल ये चाहते हैं कि जो दंगा हो रहा है वो शांत होना चाहिए. इस मसले पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. आज CJI ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. हिंसा हो रही है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. कल सुनवाई करेंगे पर पहले हिंसा रुकनी चाहिए.
इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाया. उन्होंने कहा कि कई छात्रों को गैरकानूनी ढंग से हिरासत में लिया गया है. कई छात्र लापता हैं. छात्रों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. कोर्ट को इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि हमारी मांग है कि घायल छात्रों को मुआवजा मिले. उन्हें उपचार की उचित सुविधा मिले. उनसे जबरन हॉस्टल खाली कराने पर रोक लगाई जाए. छात्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को रद्द किया जाए. जिन छात्रों को हिरासत में रखा गया है. पुलिस उनके नाम सार्वजनिक करे.
उल्लेखनीय है कि जामिया नगर में रविवार को छात्रों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सोमवार सुबह हालात सामान्य होते जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को रिहा कर दिया है. वहीं दिल्ली मेट्रो के उन स्टेशनों के गेट खोल दिए गए हैं जिनको कल शाम बंद कर दिया गया था.
वहीं दिल्ली के साउथ ईस्ट जिले में ओखला, जामिया, न्यू फ्रैंड्स कालोनी, मदनपुर खादर क्षेत्र के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को सोमवार को बंद रखने का फैसला कल शाम दिल्ली सरकार ने लिया था. मनीष सिसोदिया ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी.
बता दें नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच रविवार को हुई हिंसक झड़प में कई छात्र और पुलिसकर्मी भी घायल हुई थे.
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