लता ने मोहम्मद रफी के साथ गाने से कर दिया था मना, सालों बाद नरगिस ने कराई थी सुलह

लता ने मोहम्मद रफी के साथ गाने से कर दिया था मना, सालों बाद नरगिस ने कराई थी सुलहनईदिल्ली: हिन्दी सिनेमा जगत में अपनी गायकी से सबको मदहोश करने वाले मोहम्मद रफी का आज (24 दिसंबर) जन्मदिन है. इंडस्ट्री में रफी के नाम से मशहूर रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था. दिलीप कुमार से लेकर भारत भूषण और देवानंद से लेकर धर्मेंद्र और राजेश खन्ना तक रफी सभी की आवाज बन चुके थे. उन्होंने दिल के झरोखे में तुझको बिठाके…, चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे…, आज मौसम बड़ा बेइमान है…, बहारों फूल बरसाओ.., दिल पुकारे आरे आरे… जैसे सुपरहिट गाने बॉलीवुड को दिए.

फकीर का पीछा किया करते थे रफी

रफी को शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था. रफी के परिवार का संगीत से कोई नाता नहीं था. रफी के भाई की नाई की दुकान थी, रफी का काफी वक्त वहीं गुजरता था.कहा जाता है कि रफी जब सात साल के थे तो वे अपने बड़े भाई की दुकान से होकर गुजरने वाले फकीर का पीछा किया करते थे, जो वहां से गाते हुए गुजरता था. रफी को उस फकीर की आवाज की नकल करना बहुत अच्छा लगता था. रफी गाने लगे और लोगों को उनकी आवाज पसंद आने लगी. इससे रफी आसपास के इलाके में फेमस हो गए. संगीत के प्रति रुचि देखकर उनके बड़े भाई ने उन्हें उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास संगीत सीखने भेजा. 

ऐसे मिला पहला ब्रेक
एक बार आकाशवाणी लाहौर में कुंदन लाल सहगल परफॉर्म करने आए थे. उन्हें सुनने के लिए मोहम्मद रफी और उनके भाई पहुंचे थे. बिजली गुल हो जाने के वजह से सहगल ने गाने से मना कर दिया. रफी के बड़े भाई ने आयोजकों से निवेदन किया कि उनके भाई को गाने का मौका दिया जाए. उनको अनुमति मिल गई. वहां मशहूर संगीतकार श्याम सुंदर भी थे, जिन्होंने रफी को सुना और गाने का मौका दिया.

ये था पहला गाना
मोहम्मद रफी का पहला गाना एक पंजाबी फिल्म ‘गुल बलोच’ के लिए था, जिसे उन्होंने श्याम सुंदर के निर्देशन में 1944 में गाया. इसके बाद रफी ने बम्बई आने का फैसला किया. उन्हें संगीतकार नौशाद ने ‘पहले आप’ नाम की फिल्म में गाने का मौका दिया था.

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