पटना: बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों के बुलाए गए विशेष सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआरसी को लेकर बड़ा बयान दिया है. नीतीश कुमार ने इस दौरान साफ-साफ कहा है कि एनआरसी का बिहार में कोई सवाल ही नहीं है. एनआरसी आया ही कहां था. एनआरसी तो केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी तो असम के लोगों के साथ इसे लेकर बात हुई थी. एनआरसी का देश में औचित्य नहीं है.
उन्होंने कहा कि खुद पीएम भी इसके बारे में साफ-साफ बोल चुके हैंं. एनआरसी की बात असम के कंटेक्सट में हुई थी. साथ ही नीतीश कुमार ने कहा है कि हम सीएए पर भी पूरे विस्तार से सदन में चर्चा करेंगे. वहीं, जनगणना की बात पर उन्होंने कहा कि 2010 में एनपीआर का बात हुआ था. अब ये बात आ रही है कि अन्य चीजों के बारे में पूछा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इसके बारे में मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जैसे अभी हरियाली योजना की शुरूआत हुई है. मेरा ध्यान इस पर केंद्रित है. मैं सहमत हूं कि सदन में एनपीआर पर चर्चा होगी और किसी भी विषय पर सदन पर जरूर चर्चा होनी चाहिए.
जनगणना को लेकर नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि इस बात के हमलोग भी पक्षधर हैं कि कास्ट बेस्ड जनगणना जरूर होनी चाहिए. आखिरी बार ये 1930 में हुआ था और 1930 के बाद कभी नहीं हुआ. 2010 में भी इसको लेकर मांग उठा था. जनगणना के बाद अलग से इसे किया गया लेकिन पूरी बात नहीं आई. आंकड़े भी प्रकाशित नहीं हो पाए.
उन्होंने कहा कि 1930 के बाद एक बार और तो होना ही चाहिए. अलग-अलग धर्मों को मानने वालों की गिनती हो जाती है लेकिन बाकी कास्ट की गिनती नहीं होती है. केंद्र सरकार को भी हमलोग अपनी फीलिंग बताएंगे कि हम क्या चाहते हैं.
Bureau Report
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