नईदिल्ली: 1 फरवरी, 2020 को जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में देश का बजट पेश करेंगी उस वक्त आप और हम टैक्स में उतार-चढ़ाव पर बात करेंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि केंद्रीय वित्तीय बजट पेश करने से पहले इसकी तैयारियों में किस तरह की गोपनीयता बरती जाती है? इस हाईटेक समय में जब कोई भी खबर गोपनीय रखना बेहद मुश्किल है वहीं आखिर केंद्र सरकार कैसे अपने पूरे बजट को सीक्रेट बनाने में कामयाब होती है? इसके लिए आज भी बेहद परंपरागत गोपनीय तरीकों को अपनाया जाता है. बजट प्रक्रिया में शामिल होने वाले लगभग 100 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों का, बजट पेश होने तक पूरी दुनिया से संपर्क टूटा रहता है. आइए बताते हैं बजट की तैयारियों से जुड़े कुछ खास रोचक बातें….
हलवा सेरेमनी से आगाज होता है बजट तैयारियों का
बजट तैयारी अपने आप में एक जटिल और गंभीर प्रक्रिया है. लेकिन सरकार इस प्रक्रिया को थोड़ा लाइट करने के लिए शुरुआत हलवा सेरेमनी से करती है. एक बड़ी सी कढ़ाई में हलवा पकाया जाता है. बजट में शामिल होने वाले विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस हलवा सेरेमनी में बुलाया जाता है. हलवा सेरेमनी को ही असल में बजट तैयारियों की औपचारिक शुरुआत भी माना जाता है.
10 दिन तक नजरबंद रहते हैं अधिकारी व कर्मचारी
सुनने में अजीब लगे लेकिन ये सच है कि गोपनियता को बरकरार रखने के लिए 10 दिनों तक बजट योजना और छपाई से जुड़े किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को दफ्तर छोड़ने की इजाजत नहीं होती. इस दौरान सभी पुरुष व महिला मुलाजिम को वित्त मंत्रालय में ही रहना होता है. मुलाजिमों के रहने, खाने और स्नान तक की व्यवस्था मंत्रालय के भीतर ही मौजूद होते हैं.
No phone Calls – No Internet
बजट तैयारियों के लिए चयनित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के निजी मोबाइल फोन जमा कर दिए जाते हैं. दस दिनों तक किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को अपने परिवार या रिश्तेदारों से बातचीत करने की अनुमति नहीं होती. सभी मुलाजिम सिर्फ सरकार की ओर से बनाए गए नीतियों और योजनाओं पर ही काम करते हैं. सोशल साइटों और ईमेल तक भी किसी की पहुंच नहीं होती. मोबाइल और इंटरनेट बंद रखने के लिए पूरे मंत्रालय में सिग्नल जैमर भी लगाए जाते हैं.
मुलाजिमों के लिए डाक्टर रहते हैं 24 घंटे तैनात
10 दिनों तक घर परिवार और रोजमर्रा से अलग काम करने वाले मुलाजिमों के सेहत का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. वित्त मंत्रालय सभी मुलाजिमों के लिए एक डॉक्टर की टीम भी तैनात रखती है. हालांकि इन्हें मुख्य बिल्डिंग से बाहर ही रखा जाता है. लेकिन किसी भी आपातस्थिति में डॉक्टर मौजूद हो जाते हैं. इस दौरान किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को अस्पताल में दाखिला की मनाही होती है.
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