नईदिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 यानी 88% सीटें जीत ली हैं। अरविंद केजरीवाल फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे। 62 (आप) और 8 (भाजपा) सीटों का आंकड़ा देखने पर ऐसा लग रहा है कि आप के लिए जीत आसान थी, पर ऐसा था नहीं। एक समय ऐसा भी आया था कि पूरा चुनाव आम आदमी के हाथों से जाते दिखा। आप को जिताने की रणनीति बनाने वाले सबसे अहम शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर उस रणनीति का खुलासा किया, जिसने केजरीवाल को तीसरी बार दिल्ली का सीएम बना दिया है। इस योजना पर अमल पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव के फौरन बाद ही शुरू हो गया था। बाकी बातें उसी रणनीतिकार की जुबानी…
चार बिंदुओं में समझें आप की रणनीति
1. सबसे पहले अरविंद का बतौर मुख्यमंत्री रोल डिफाइंड किया
नई रणनीति के तहत सबसे पहले अरविंद केजरीवाल का रोल तय किया गया। आम आदमी पार्टी में अपने रोल को लेकर बेहद कंफ्यूजन था कि हमें दिल्ली का सीएम रहना है या अपोजीशन लीडर की तरह रिएक्ट करना है। रोल डिफाइंड किया गया कि दिल्ली के सीएम की तरह बिहेव करें। क्योंकि जनता ने आपको मोदीजी से लड़ने के लिए अपोजीशन का फेस नहीं बनाया है, बल्कि दिल्ली का सीएम बनाया है। ये चीज दिखने में बहुत साधारण लगती है, लेकिन है बहुत बड़ी। जैसे शाहीन बाग पर हम नहीं उलझे। राम मंदिर पर कमेंट नहीं किया तो लोगों को ऐसा लगा कि केजरीवाल मोदी से डर रहे हैं, इसलिए कमेंट नहीं कर रहे। जबकि डरने जैसा कुछ नहीं है, क्योंकि प्रदूषण पर केंद्र की जमकर आलोचना की गई, क्योंकि यह दिल्ली से जुड़ा मुद्दा था। दिल्ली से बाहर के मुद्दों को छोड़ा गया। जैसे केरल के सबरीमाला पर कमेंट करेंगे तो जनता सोचेगी कि आपको दिल्ली का सीएम बनाया है तो केरल में क्यों उलझ रहे हो। हमने अरविंद का रोल डिफाइंड किया कि मुख्यमंत्री की तरह बिहेव करें।
2. पोजिशिनिंग में बदलाव के लिए विज्ञापन में अरविंद के फोटो तक बदलवाए
अरविंद केजरीवाल की पोजिशिनिंग में बदलाव किया गया। जैसे आप एजीटेशनिस्ट, एक्टिविस्ट, रेवोल्यूशनरी नहीं हैं, बल्कि आप सीएम हैं। इसके तहत अरविंद केजरीवाल का सरकारी विज्ञापन में दिखने वाला फोटो बदला गया। पहले जो फोटो था, उसमें वो बहुत गुस्से में दिखते थे। आंदोलन के मूड में दिखते थे। इसे बदलकर उनका साधारण शर्ट में हंसता हुआ चेहरा दिखाया गया। ताकि वे एक ऐसे सीएम की तरह दिखें, जो घर के बड़े भाई जैसा है। विश्वसनीय है। घर के बेटे जैसा है, न कि 2015 वाला फोटो, जिससे ये मैसेज था कि अरविंद केजरीवाल आया है, जो पूरी दुनिया को बदल देगा। राजनीति को बदल देगा। राजनीति को रीडिफाइंड कर देगा। ये दो बड़े काम किए गए। इन दोनों चीजों से मैसेज है कि जून के बाद से अरविंद केजरीवाल का पूरा चित्र बदल दिया गया। चाहे फोटो हो, कम्यूनिकेशन हो या उनका रोल।
3. चुनाव से पहले रिपोर्ट कार्ड दिया, ताकि भरोसा बने और बढ़े
चुनाव के पहले आप की ओर से रिपोर्ट कार्ड दिया गया कि पार्टी ने काम क्या किया है। पहले वो बताकर अपनी विश्वसनीयता स्थापित कीजिए। कैंपेन की शुरुआत ही रिपोर्ट कार्ड से हुई और कार्ड में ये नहीं लिखा गया कि हमने दिल्ली बदल दी है या सभी सड़कें सुधार दी हैं। बल्कि जो दावे किए गए, उन्हें आंकड़ों के साथ 10 पॉइंट में जनता के सामने रखा। जैसे कहा गया कि बिजली फ्री दी तो उसके साथ लिखा कि 200 यूनिट तक फ्री हो गया है, ताकि लोगों को एकदम क्लियर हो। स्कूल का दावा किया तो आंकड़े के साथ किया। 600 पन्नों का गारंटी कार्ड नहीं बनाया बल्कि पॉइंट टू पॉइंट 10 बातें लिखीं गईं। यही काम बिहार में नीतिश कुमार और आंध्र में जगन रेड्डी के साथ भी किया गया था। जैसे बिजली में लिखा कि 200 यूनिट फ्री की और साथ में इस बात की गारंटी भी दी कि यह जारी रहेगा और दिल्ली को तारमुक्त बनाया जाएगा। तारों को अंडरग्राउंड किया जाएगा। गारंटी कार्ड को ध्यान से देखेंगे तो इसमें एक निरंतरता नजर आती है। गारंटी कार्ड की सिर्फ मंच से घोषणा नहीं की गई, जैसे कांग्रेस करती है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी, बल्कि इसे लेकर घर-घर तक गए। हर विधानसभा में कम से कम 25 हजार घरों तक यह रिपोर्ट कार्ड पहुंचाया गया।
4. लगे रहो केजरीवाल ने चमत्कार जैसा काम किया
‘लगे रहो’ का मतलब ये है कि आपकी क्षमता पर यकीन है, लेकिन यह भी मान रहे हैं कि इतनी बड़ी चुनौती है कि अभी सबकुछ अचीव नहीं हुआ है। जैसे, कोई बच्चा आईएस की एग्जाम देता है और उसकी प्रारंभिक परीक्षा निकल जाती है, लेकिन मुख्य परीक्षा नहीं निकल पाती तो पिताजी कहते हैं कि बेटा लगे रहो। क्योंकि उन्हें इस बात का यकीन है कि आप में क्षमता है, लेकिन एग्जाम क्रैक करना इतना आसान भी नहीं। इसमें समय लगेगा। इससे ये निरंतरता का विश्वास आता है कि बने रहिए। ये मैसेज दिखाता है कि एक दिन में सबकुछ नहीं बदल जाता लेकिन हमारा यकीन है कि आप इसको कर लेंगे। लगे रहिएगा तो कर लीजिएगा। इस मैसेज ने चमत्कार का काम किया।
भाजपा की दो गलतियों से आप को मदद मिली
आप पिछले 5 साल में कोई भी चुनाव नहीं जीती है। लोकसभा का चुनाव हारे। नगर निगम का चुनाव हारे। यूनिवर्सिटी का चुनाव हारे। विधानसभा के जो उपचुनाव यहां और बाहर हुए वो भी हारे। उसका मुकाबला ऐसी पार्टी से था, जो लगातार चुनाव जीतते आ रही है। जिसका बहुत बड़ा और मजबूत संगठन है। जिसके पास मोदी और शाह जैसे मैनेजर हैं। जबकि आम आदमी पार्टी में एक चेहरा और एक मैनेजर। भाजपा ने 300 सांसद, 11 मुख्यमंत्री लगा दिए। प्रधानमंत्री ने सभाएं की। अमित शाह ने पूरी ताकत लगा दी। एक मौका ऐसा भी आया जब चुनावी माहौल बदल गया था और आप के हाथों से चुनाव निकलता दिख रहा था।
इस बीच भाजपा ने दो बड़ी गलतियां की। पहले अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी बताया और दूसरा उन्हें एंटी हिंदू बताने की कोशिश की। हमने हनुमान चालीसा करके तुरंत इसका काउंटर किया। यदि सही समय पर ऐसा नहीं करते तो नतीजे कुछ अलग ही होते। भाजपा से लड़ाई बहुत कठिन थी। 62 और 8 का जो आंकड़ा दिख रहा है, वो देखने में आसान लग रहा है, लेकिन वास्तव में इसकी कहानी अलग है। हर बूथ पर कांटे की टक्कर थी। आम आदमी पार्टी का 2015 के मुकाबले हर सीट पर जीतने का मार्जिन कम हुआ है। भाजपा का जो वोट 2015 में 32% था, वो 5% बढ़ा है। आप का 53% के करीब रह गया। भाजपा का कैंपेन निगेटिव था, जबकि आप का पॉजिटिव था। हम जहां भी स्ट्रैटजी बनाते हैं वहां सकारात्मक कैंपेनिंग ही करते हैं। जैसे बिहार नीतिश कुमार का था कि बिहार में बहार हो, फिर से एक बार हो, नीतीशे कुमार हो। तो इसका मतलब ये कि हम बिहार की तरक्की चाहते हैं, जो नीतीश कुमार के जरिए हो सकती है। भाजपा की पूरी कैंपेनिंग नकारात्मक नजर आई।
Bureau Report
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