भोपाल: मध्य प्रदेश में सत्ता के लिए शुरू हुआ संघर्ष अब कानूनी दांव-पेंच में उलझ गया है। राज्यपाल ने सोमवार शाम दूसरी बार पत्र लिखकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को बहुमत साबित करने का आदेश दिया था। अब मुख्यमंत्री ने राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र के जरिए जवाब भेजा है। इसमें कमलनाथ ने कहा कि 17 मार्च को ही बहुमत साबित करने का आपका आदेश असंवैधानिक है। उधर, राज्यपाल के आदेश के बावजूद विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा। बुधवार को फिर सुनवाई होगी।
कमलनाथ ने राज्यपाल द्वारा 14 मार्च को लिखे पत्र का जिक्र करते हुए कहा- ”आपने यह मान लिया है कि मेरी सरकार बहुमत खो चुकी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आपने भाजपा से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऐसा माना है। भाजपा ने कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक बना रखा है। भाजपा के नेता इन विधायकों पर दवाब डालकर उनसे बयान दिलवा रहे हैं। प्रदेश के बंदी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए। 5-7 दिन खुले वतावारण में बिना दबाव के उनके घर में रहने दीजिए ताकि वो स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें। आपने कहा है कि 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने पर यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में बहुमत प्राप्त नहीं है, यह पूरी तरह से आधारहीन और असंवैधानिक है।”
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ने कानूनी विशेषज्ञों से मध्य प्रदेश के ताजा हालात से जुड़े केसों के बारे में जानने की कोशिश की। वे विधानसभा से संबंधित सभी नियमों को बारीकी से समझ रहे हैं। मंगलवार सुबह से सीएम हाउस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
अपडेट्स…
- 12.10 PM: मंत्री जयवर्धन सिंह सीएम हाउस पहुंचे।
- 12.05 PM: अजय सिंह, सचिन यादव सीएम हाउस पहुंचे।
- 11.10 AM: राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह सीएम हाउस पहुंचे।
- 11.00 AM: मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ सीएम हाउस से निकलीं।
- 10.37 AM: ब्लैक ग्लास की एसयूवी से 4 कांग्रेस विधायक सीएम हाउस पहुंचे।
- 9.55 AM: करीब 12 खाली एसयूवी गाड़ियां सीएम हाउस के अंदर गईं।
- सुबह शोभा ओझा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। यहां से वे सीधे महिला आयोग अध्यक्ष का चार्ज लेने ऑफिस गईं।
अब आगे क्या हो सकता है?
1) सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
फ्लोर टेस्ट में देरी के विरोध में भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। सुनवाई हुई। मामले की कल भी सुनवाई होगी। अगर स्पीकर अगले 10 दिन के भीतर बागी विधायकों को अयोग्य करार देते हैं तो भी मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है। कोर्ट में तुरंत सुनवाई हुई तो 26 मार्च से पहले भी फ्लोर टेस्ट हो सकता है।
एक्सपर्ट व्यू : संवैधानिक मामलों के जानकार फैजान मुस्तफा के मुताबिक, स्पीकर के पास दो विकल्प हैं। या तो वे विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लें या उन्हें डिस्क्वालिफाई (अयोग्य) करार दें। स्पीकर अपने फैसले को डिले कर सकते हैं, ताकि सत्ताधारी पार्टी के लोगों को बागियों को मनाने का कुछ वक्त मिल जाए। लेकिन दो विकल्पों के अलावा स्पीकर के पास कोई और चारा नहीं है।
2) क्या राष्ट्रपति शासन लगने के आसार हैं?
ये भी एक संभावना है। इसके उदाहरण भी हैं। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के 19 दिन बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। तब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के तीन प्रमुख दलों भाजपा, शिवसेना और राकांपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था, लेकिन कोई भी दल सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाया। 12 दिन बाद रातों-रात राष्ट्रपति शासन हटा और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इससे भी पहले जून 2018 में जम्मू-कश्मीर में जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की। हालांकि, इसी बीच वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया।
एक्सपर्ट व्यू : फैजान मुस्तफा बताते हैं कि सरकार या स्पीकर जानबूझकर फ्लोर टेस्ट नहीं कराते तो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का कारण बताकर राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं।
Bureau Report
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