लंदन: 3 महीने से 18 महीने की उम्र वाले बच्चे को कुछ देर तक रोने देना चाहिए। उनके रोने पर अगर आप तुरंत उसके पास दौड़कर पहुंच जाते हैं, तो यह उसके विकास पर असर डाल सकता है। यह दावा ब्रिटेन की वारविक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ताजा रिसर्च में किया गया है। इसके मुताबिक जन्म से लेकर डेढ़ साल की उम्र तक के बच्चों को अगर रोते हुए छोड़ दिया जाए, तो उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता मजबूत होती है, साथ ही वे धीरे-धीरे आत्म-अनुशासन भी सीख जाते हैं। हालांकि जब बच्चे रो रहे हो, तो उन पर नजर बनाए रखनी चाहिए।
बच्चों के रोने के तरीकों, व्यवहार और इस दौरान माता-पिता की प्रतिक्रिया के अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने सात हजार से ज्यादा बच्चों और उनकी माताओं का अध्ययन किया। कुछ-कुछ अंतराल के बाद उनका लगातार मूल्यांकन किया गया कि जब बच्चे रोते हैं, तो क्या माता-पिता तुरंत हस्तक्षेप करते हैं या बच्चे को कुछ देर या अक्सर रोने देते हैं। इस प्रयोग का मूल्यांकन हर 3, 6 और 18 महीनों में किया गया।
जिन बच्चों को रोता छोड़ा गया वे सक्रिय हुए
प्रयोग में यह भी देखा गया कि रोने के दौरान माता-पिता से अलगाव और दोबारा मिलने पर बच्चों के व्यवहार में कितना अंतर पड़ा। नतीजों में पता चला कि जिन बच्चों के रोने पर माता-पिता तुरंत पहुंच जाते थे, उनका विकास धीमा रहा, जबकि जिन बच्चों को कुछ देर रोते हुए छोड़ा गया, उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता बढ़ी हुई पाई गई। वे अन्य बच्चों की तुलना में काफी चंचल और सक्रिय भी पाए गए।
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रिसर्च के दौरान बच्चों के पालन-पोषण, रोने के अलग-अलग तरीकों और माता-पिता के व्यवहार का अध्ययन किया गया। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ एयटन बिलगिन ने बताया- हमने 3 से 18 महीने के बच्चों की 7,000 से ज्यादा मांओं के व्यवहार का अध्ययन किया। यह देखा कि वे कितनी संवेदनशील हैं और बच्चे पर क्या असर होता है। पूरी प्रक्रिया के वीडियो भी रिकॉर्ड किए गए और उनका गहन अध्ययन किया गया।
Bureau Report
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