नई दिल्ली: दिल्ली से अपने घरों के लिए दूसरे राज्यों को पलायन कर रहे मज़दूरों को भोजन, परिवहन, मेडिकल सहित अन्य पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई अगले मंगलवार को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था देते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों का प्रवास आपने बंद किया है उन सभी को भोजन, आश्रय, पोषण और चिकित्सा सहायता के मामले में ध्यान रखा जाए और कोरोना की जानकारी के लिए केंद्र सरकार 24 घंटे में पोर्टल स्थापित करे.
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पलायन करने वाले 10 लोगों में से 3 के संक्रमित होने की आशंका है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश के गांवों में अभी तक कोरोना संक्रमण नहीं पहुंचा है, लेकिन शहरों से गांव की तरफ हुए पलायन से इसकी आशंका बढ़ गई है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का दावा किया कि अब पलायन पर रोक लग गई है. अब कोई भी सड़क पर नहीं है.
सरकार ने बताया कि इस दौरान 6 लाख 63 हज़ार लोगों को आश्रय दिया गया है और 22 लाख 88 हज़ार लोगों तक भोजन और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि कोरोना को लेकर फैलाई जा रही फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लोगों में पैनिक, कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक है, यह कोरोना से अधिक ज़िंदगी तबाह कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक आदेश पारित कर रहे हैं कि कोरोना की जानकारी के लिए केंद्र सरकार 24 घंटे में पोर्टल स्थापित करे. सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि जिन लोगों का प्रवास आपने बंद किया है उन सभी को भोजन, आश्रय, पोषण और चिकित्सा सहायता के मामले में ध्यान रखा जाए.
इसके साथ ही विभिन्न हाई कोर्ट में कोरोना पर दायर याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने की केन्द्र सरकार की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट अपने राज्य की समस्या को और बेहतरी से समझ सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि कैंपों में रखे गए लोगों की चिंता कम करने के लिए सभी धर्म संप्रदाय के नेताओं और धर्मगुरुओं की सहायता ली जाय, इससे उनमें पैनिक कम किया जा सकेगा.
इससे पहले सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि देशभर के एयरपोर्ट पर 15.5 लाख और सीपोर्ट पर 12 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, इन 28 दिनों में 3,48,000 लोगों की निगरानी की जा रही है.
इस बीच याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को राज्यों को निर्देश पारित करना चाहिए . जस्टिस जे नागेश्वर राव ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम में राज्यों और जिलों के लिए प्रावधान हैं जो केंद्रीय प्राधिकरण के निर्देशों को पूरा करने के लिए बाध्य हैं. हमें राज्यों को विशिष्ट आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है. याचिकाकर्ता ने बरेली में प्रवासियों पर कैमिकल छिड़काव का जिक्र किया. सुनवाई अगले मंगलवार को 12.15 बजे होगी.
सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई. जज, याचिकाकर्ता वकील और सॉलिसिटर जनरल ने अपने-अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के यहां गृह सचिव और संयुक्त सचिव मौजूद रहे.
Bureau Report
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