सांस के 104 रोगी संक्रमित मिले
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 5911 सांस रोगियों में से 104 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। मतलब कोरोना के कुल कुल रोगियों में से 1.8% संक्रमित पहले से सांस के रोगी हैं। इनमें भी 40 मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी और न ही ये किसी संक्रमित या संदिग्ध के संपर्क में आए थे। इनमें ज्यादातर मरीजों की आयु 50 वर्ष से ऊपर है और पुरुषों की संख्या अधिक है। इसके अलावा 2% मरीज ऐसे मिले, जो किसी संक्रमित के संपर्क में आए थे और 1% केस में इंटरनेशनल ट्रैवल हिस्ट्री मिली है। 59% मामलों में एक्सपोजर हिस्ट्री का डेटा उपलब्ध नहीं था। आईसीएमआर ने गुजरात से 792, तमिलनाडु से 577, महाराष्ट्र से 553 और केरल से 502 गंभीर सांस रोगियों के सैंपल जांचे थे। इनमें महाराष्ट्र के 8, पश्चिम बंगाल के 6 और तमिलनाडु और दिल्ली के 5 जिलों में भर्ती मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हुई है।
गंभीर सांस के रोगियों में खतरा बढ़ गया
आईसीएमआर के मुताबिक, गंभीर सांस रोगियों में कोरोना का खतरा काफी बढ़ गया है। ऐसे मरीजों की जांच जरूरी हो गई है। अध्ययन से मालूम चला है कि मार्च से पहले गंभीर सांस रोगियों में कोरोना फैलने का खतरा 0% था लेकिन 2 अप्रैल से यह बढ़कर 2.6% हो गया है। इसलिए ऐसे मरीजों की निगरानी ज्यादा होनी चाहिए।
अस्पतालों में भर्ती गंभीर सांस रोगियों की जांच के निर्देश दिए गए थे
मार्च के पहले सप्ताह में ही कोरोनावायरस को लेकर आईसीएमआर ने अपने लैब में कुछ रैडम सैंपलिंग की थी। एक हजार सैंपल की जांच के बाद एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला था। इसके बाद 20 मार्च को टेस्टिंग प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अस्पतालों में भर्ती गंभीर सांस रोगियों की जांच कराने के निर्देश दिए गए। 15 से 29 फरवरी तक 965 गंभीर सांस रोगियों की जांच हुई। इनमें दो पॉजिटिव केस मिले। इसके बाद फिर से टेस्टिंग प्रक्रिया में बदलाव हुआ। देश भर के अस्पतालों में भर्ती 4,946 सांस रोगियों की जांच हुई, जिसमें से 102 पॉजिटिव मिले। इसी के अनुसार देश में गंभीर सांस के 5,911 रोगियों में से 104 सैंपल पॉजीटिव मिले हैं। अध्ययन में इन मरीजों की आयु औसतन 44 से 63 वर्ष के बीच बताई गई है। जबकि, 83.3% मरीज पुरुष हैं।
Bureau Report
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