जिनेवा: दुनिया भर में कोरोना से निजात पाने के लिए प्लान B पर चर्चा हो रही है. और ये प्लान B है हर्ड इम्युनिटी यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों में कोरोना का संक्रमण फैलाना जिससे कोरोना के खिलाफ सामूहिक प्रतिरोधकता पैदा की जा सके. इसके लिए किसी भी कम्युनिटी में कम से कम 60% लोग संक्रमित होने चाहिए.
जहां एक तरफ कई बड़े देशों के नेता और वैज्ञानिक हर्ड इम्युनिटी के इस आइडिया को गंभीर रूप से कोरोना के खिलाफ बड़ा हथियार मान रहे हैं वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको खरतनाक बताया है.
कोरोना पर हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के हेल्थ इमरजेंसी डायरेक्टर डॉ माइकल रेयान ने साफ किया ये सोचना गलत है कि कोई भी देश कोविड 19 के लिए अपनी आबादी पर कोई जादू चला कर उसमें इम्युनिटी भर देगा, हर्ड इम्युनिटी की बात तब की जाती है जब देखना होता है कि किसी आबादी में कितने लोगों को वैक्सीन की जरूरत है. कोरोना हमारा दुश्मन नम्बर एक है सभी जिम्मेदार सदस्य देशों को हर एक इंसान को महत्व देना चाहिए.
इस मुद्दे पर और चर्चा करते हुए डब्ल्यूएचओ की कोविड 19 रेस्पॉन्स टीम की तकनीकी प्रमुख डॉ मारिया वान केरखोव ने कहा कि अभी तक के आंकड़ों को देखा जाए तो अभी जनसंख्या का बहुत कम हिस्सा कोरोना से संक्रमित है. लोगों में एंटीबाडीज का अनुपात कम है, हम हर्ड इम्युनिटी का इस्तेमाल तब करते हैं जब जब लोगों को वैक्सीन देने की बात होती है.
हर्ड इम्युनिटी का आइडिया दुनिया भर में तब चर्चा में आया जब मार्च में पहली बार ब्रिटिश सरकार ने उम्मीद जताई थी कि हर्ड इम्युनिटी से कोरोना को नियंत्रित किया जा सकता है, हालांकि इसके बाद कई देशों ने इसकी आलोचना भी की. इसके अलावा अमेरिका समेत कई देशों का दावा है कि स्वीडन भी अपने देश में कोरोना से लड़ने के लिए हर्ड इम्युनिटी के आईडिया को अपना रहा है. स्वीडन की सरकार ने कभी इस पर आधिकारिक पुष्टि नहीं दीं लेकिन जिस तरह से स्वीडन ने महामारी के बीच कई छूट दे रखी हैं उससे माना जा रहा है कि वहां हर्ड इम्युनिटी को अपनाया जा रहा है.
Bureau Report
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