नईदिल्ली: ऐसा कम ही होता है जब बैंक लोन देने को तैयार हो लेकिन कोई जोखिम लेने को तैयार न हो. लेकिन लॉकडाउन ने मौजूदा परिस्थिति ऐसी ही हो गई है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि हम लोन देने को तैयार हैं लेकिन लोग लोन लेने आ ही नहीं रहे.
ग्राहक नहीं लेना चाहते जोखिम
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि बैंक कर्ज देने को तैयार हैं, लेकिन ग्राहक कर्ज लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. कुमार ने मंगलवार को कहा कि आज ग्राहक जोखिम उठाने और कर्ज लेने से कतरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बैंक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों क्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना को लेकर आशान्वित है. इस योजना के जरिये सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 30,000 करोड़ रुपये डाले हैं.
भारतीय उद्योग परिसंघ की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कुमार ने बैंक की जमा रिजर्व बैंक के पास रखने की आलोचनाओं पर कहा, हमारे पास कोष है, लेकिन ऋण की मांग नहीं है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में बैंकों के पास अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जहां तक ग्राहकों की बात है तो वे अभी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.
Bureau Report
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