नईदिल्ली: शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक तरफ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की खूब वाह-वाही की गई है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार को जमकर खरी-खोटी सुनाई गई है. सामना में तेजस्वी यादव को बिहार और देश का भविष्य बताया गया है.
नीतीश को सीएम बनाना जनमत का अपमान: सामना
सामना में लिखा है, ‘बिहार में भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल, इन दो विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों को सफलता मिली है. इसमें नीतीश कुमार और उनकी पार्टी कहीं नहीं है. मुख्यमंत्री के रूप में जनता द्वारा झिड़क दिए जाने पर मुख्यमंत्री पद पर उन्हें लादना एक प्रकार से जनमत का अपमान है. इस परिस्थिति में तीसरे क्रमांक पर फेंके जा चुके नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ेंगे, तो यह उनके राजनीतिक करियर की शोकांतिका साबित होगी. यह हारे हुए पहलवान को जीत का पदक देने जैसा समारोह साबित होगा.’
तेजस्वी की जमकर तारीफ
तेजस्वी की तारीफ करते हुए लिखा गया कि ‘एनडीए’ के हाथ फिसलती जीत लगी है और असली विजेता 31 वर्षीय तेजस्वी यादव ही हैं. तेजस्वी की राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बिहार में पहले क्रमांक की पार्टी साबित हुई. यह भाग्य भाजपा को नहीं मिल पाया इसलिए सत्ता बचाने का आनंद जरूर मनाया जा सकता है पर जीत का सेहरा तेजस्वी यादव के सिर पर ही है. आर-पार की लड़ाई में नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन को 125 सीटें मिलीं. विधानसभा में 243 विधायक हैं इसलिए बहुमत 122 का है. प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार की जीत कितनी बारीक है, इसे समझ लें. तेजस्वी यादव के महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं. उनकी आठ सीटें 100 से 300 वोटों के अंतर में हाथ से निकल गई. तेजस्वी यादव की तेजतर्रार प्रतिमा बिहार के विधानसभा चुनाव में तप कर निखरी है.
बिहार ही नहीं, देश को मिला जुझारू नेता: सामना
सामना में लिखा है कि तेजस्वी के रूप में सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश को एक जुझारू युवा नेता मिला है. वह अकेले लड़ता रहा. वह विजय के शिखर पर पहुंचा. वह भले जीता ना हो लेकिन उसने हार नहीं मानी. देश के राजनीतिक इतिहास में इस संघर्ष को लिखा जाएगा. बिहार में रोटी सेंकी जा सकेगी, ऐसा लग रहा था. लेकिन रोटी जल चुकी है. तेजस्वी यादव थोड़ी प्रतीक्षा करें, भविष्य उनका ही है.
Bureau Report
Leave a Reply