लखनऊ: अब प्रदेश के गवर्नमेंट स्कूलों के स्टूडेंट्स को जल्द ही एक दिन भारी बैग्स से छुटकारा मिलेगा. प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 8 तक के स्टूडेंट के लिए हफ्ते में एक दिन ‘नो-बैग’ डे होगा. इस दिन बच्चे बैग लेकर नहीं जाएंगे और स्कूल में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग होगी. सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को तनाव मुक्त रखने और खेल-खेल में रोचक ढंग से पढ़ाई करने के लिए ये नियम लागू किया जा रहा है.
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नए बदलाव
यूपी में प्राइमरी से लेकर कक्षा 8 तक के स्टूडेंट्स को एक दिन बिना बस्ते के स्कूल बुलाया जाएगा. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नए बदलावों को लागू कराने के लिए गुरुवार को उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक हुई. बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक किए जाने वाले बदलावों को लेकर एक पूरी रिपोर्ट भी तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए.
बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाएगा
बैठक में स्टूडेंट को रोचक ढंग से पढ़ाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने के निर्देश भी दिए गए. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि बच्चे खेल-खेल में ही ज्ञानवर्धक बातें सीखें.
रोचक ढंग से पाठ पढ़ाने के लिए बदलाव
बैठक में प्री-प्राइमरी लेवल पर स्टूडेंट को रोचक ढंग से पाठ पढ़ाने के लिए बदलाव किए जाने पर जोर दिया गया. वहीं सरकारी स्कूलों में हफ्ते में एक दिन विद्यार्थियों के लिए नो-बैग डे निर्धारित करने पर भी सहमति बनी. विद्यार्थियों को खेल-खेल में इंटरेस्टिंग एक्टिविटीज के जरिए कठिन से कठिन पाठ आसानी से समझाया जाएगा. इस तरह बच्चों का मनोरंजन भी हो जाएगा और खेल भी. बच्चे मन लगाकर पढ़ाई भी करेंगे और स्कूल आने से नहीं कतराएंगे.
आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में बदला जाएगा
बैठक में ये भी फैसला हुआ कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के बीच सामंजस्य स्थापित किया जाए. साथ ही प्राइमरी स्कूलों में विद्यार्थी आंगनबाड़ी से लाए जाएंगे. वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में बदला जाएगा.
बदलाव की ओर एक कदम
बता दें कि नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा से जुड़े बुनियादी बदलावों की ओर एक कदम है. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. नई नीति के तहत एजुकेशन के 10+2 मॉडल को बदलकर 5+3+3+4 किया जाएगा. हॉयर एजुकेशन में छात्रों को ऑप्ट आउट की सुविधा होगी. पढ़ाई में वैचारिक समझ पर जोर होगा. मातृभाषा में पढ़ने की आजादी होगी.
Bureau Report
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