नईदिल्ली: नए कृषि कानूनों और किसानों के प्रदर्शन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अगले आदेश तक तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगा दी. इसके साथ ही कोर्ट ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की केंद्र सरकार की अर्जी पर किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मसले पर सोमवार को सुनवाई होगी.
‘कमेटी के पक्ष में नहीं है किसान’
सुप्रीम कोर्ट में किसानों की ओर से वकील एमएल शर्मा ने बहस की शुरुआत की और कहा कि किसान कमेटी के पक्ष में नहीं हैं और हम कानूनों की वापसी ही चाहते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन बेच दी जाएंगी. इसके बाद चीफ जस्टिस ने वकील से पूछा कि ये कौन कह रहा है कि जमीन बिक जाएंगी? फिर एमएल शर्मा ने कहा कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट करेंगे और फसल क्वालिटी अच्छी नहीं हुई तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी. इस पर CJI ने कहा कि हम अंतरिम आदेश में कहेंगे कि ज़मीन को लेकर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा.
‘अनिश्चितकालीन प्रदर्शन से हल नहीं निकलेगा’
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं और अनिश्चितकालीन प्रदर्शन से हल नहीं निकलेगा.’ उन्होंने कहा, ‘कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है. जो कमेटी बनेगी, वो हमें रिपोर्ट देगी.’ CJI ने कहा कमेटी हम अपने लिए बना रहे है और कमेटी हमें रिपोर्ट देगी. कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है. एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कल मरने की बजाय आज मरने को तैयार हैं. CJI ने कहा कि हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे. हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है. कानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है. लोग बाकी मसले कमेटी के सामने उठा सकते हैं.
कमेटी के सामने क्यों नहीं जाएंगे किसान: CJI
CJI की टिप्पणी; कहा- यह कोई राजनीति नही है, हम समस्या का समाधान चाहते हैं. हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए कमेटी का गठन चाहते हैं. CJI ने कहा कि कल किसानों के वकील दवे ने कहा की किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे. अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते है तो कमेटी के समक्ष क्यों नही? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे. सीजेआई ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित करने की तैयारी है. सवाल है कि लोग हल चाहते हैं या समस्या बनाए रखना चाहते हैं. अगर हल चाहते हैं तो यह नहीं कह सकते कि कमेटी के पास नहीं जाएंगे.
‘वकील को न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए’
याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा कि कोर्ट ही हम सबकी आखिरी उम्मीद है. CJI ने कहा कि जो वकील हैं, उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि जब आदेश सही न लगे तो अस्वीकार करने लगें. एमएल शर्मा ने कहा कि मैंने पूर्व CJI खेहर समेत कुछ नाम सुझाए हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि बाकी लोग भी सुझाएं. हम विचार करेंगे.
पीएम को नहीं कहेंगे बैठक में आएं: चीफ जस्टिस
एमएल शर्मा ने कहा कि किसान यह भी कह रहे हैं कि सब आ रहे हैं, पीएम बैठक में क्यों नहीं आते. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पीएम को नहीं कहेंगे कि वह बैठक में आएं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कृषि मंत्री बात कर रहे हैं और ये उनका विभाग है.
तमिलनाडु में भी प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
तमिलनाडु के किसान संगठन ने कहा कि वह कृषि कानून का विरोध करते हैं और कानून रद्द करने की मांग करते है. चीफ जस्टिस ने कहा कल अटॉर्नी जनरल ने हमको बताया की दक्षिण भारत के किसान कानून का समर्थन कर रहे है. इस पर वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है. तमिलनाडु में भी किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं.
अनिश्चितकाल के लिए कानून के अमल पर रोक नहीं
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून के अमल पर रोक लगाएंगे, लेकिन यह अनिश्चितकाल के लिए नहीं है. हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है. उस तरह की नकारात्मक बात नहीं होनी चाहिए, जैसी याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने आज सुनवाई के शुरू में की. दरअसल, एमएल शर्मा ने कहा था कि किसान कमिटी के पास नहीं जाएंगे और कानून रद्द हो.
सरकार ने दाखिल किया हलफनामा
किसान आंदोलन मामले में सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना प्रारंभिक हलफनामा दाखिला किया था. सरकार ने हलफनामे में कहा कि प्रदर्शनकारियों की ‘गलत धारणा’ को दूर करने की जरूरत है. कृषि मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों ने यह गलत धारणा दी है कि केंद्र सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति द्वारा परामर्श प्रक्रिया या मुद्दों की जांच नहीं की. कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं, बल्कि दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है.
केंद्र ने की ट्रैक्टर रैली पर रोक की मांग
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कोर्ट किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाए, क्योंकि ऐसी रैली से विश्व में देश के सम्मान को ठेस पहुंचेगी. बता दें कि किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में टैक्टर परेड निकालने की चेतावनी दी है. इससे पहले किसानों ने 7 जनवरी को दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर रैली निकाली थी.
किसानों-सरकार के बीच हो चुकी है 8 दौर की बैठक
बता दें कि केंद्र सरकार और किसान संगठन के नेताओं के बीच अब तक 8 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई भी सहमति नहीं बन पाई है. किसान नेता लगातार तीनों कृषि कानूनों को काला कानून करार देते हुए इन्हें रद्द कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार प्रावधानों में बदलाव करते हुए इन्हें बरकरार रखने की जिद्द पर अड़ी है. किसानों का साफ कहना है कि वे कानून रद्द होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे.
Bureau Report
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