हांगकांग: कोरोना वायरस महामारी के बीच चीन में तमाम लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. आत्महत्या करने वालों में अधिकतर ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के कर्मचारी हैं. इसकी बड़ी वजह है काम का दबाव, कम सैलरी और भेदभाव. चीन के ई-कॉमर्स क्षेत्र के कर्मचारों द्वारा लगातार आत्महत्या किए जाने के बाद एक बार फिर चीन में मानवाधिकारों को लेकर बहस तेज हो गई है.
’12-12 घंटे लिया जा रहा काम’
होम डिलिवरी करने वाले ई-कॉमर्स कंपनियों के कर्मचारी कड़ाके की ठंड में भी खाने-पीने का सामान घर-घर पहुंचा रहे हैं. उनसे 12-12 घंटे काम लिया जा रहा है. खबर है कि ऐसे ही काम के दबाव में अली बाबा समूह के एक कर्मचारी ने आत्मदाह का प्रयास किया. वह अस्पताल में जिंदगी व मौत से जंग लड़ रहा है. एक अन्य कंपनी के दो कर्मचारी भी खुदकुशी कर चुके हैं. कोरोना काल में भी लगातार काम करते रहे ई-कॉमर्स कर्मचारी अपने वेतन और खुद के साथ हो रहे बर्ताव से इतने नाखुश हैं कि एक ने तो विरोध जताते हुए खुद को आग लगा ली.
काम के घंटे कम करने की अपील
स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक टेक क्षेत्र के उद्योगों में आधिकारी स्तर के कर्मचारियों की सैलरी अन्य कुछ इंडस्ट्री से अच्छी है, लेकिन कर्मचारियों से यहां भी एक दिन में 12 घंटे से अधिक काम लिया जाता है. हालांकि कर्मचारियों की दुर्दशा पर ध्यान उस समय गया जब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पिंदुओदुओ के दो कर्मचारियों की मौत हो गई. इस तरह की अटकलें थीं कि अधिक काम करने की वजह से उनकी जान गई है. इसे बड़ी चिंता की बात बताते हुए सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने काम के घंटे कम करने की वकालत की है. इस तरह के विवाद चीन के इंटरनेट उद्योग की छवि के लिए झटका है जो देश की अर्थव्यवस्था को बदल रहा है और नये रोजगार पैदा कर रहा है. इसी उद्योग ने कई ई-कॉमर्स कंपनियों के संस्थापकों को दुनिया के सबसे धनी उद्यमियों तक में शामिल किया है.
Bureau Report
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