हैदराबाद: मोहम्मद महबूब खान पहले और अकेले ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने 20 साल की उम्र में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीता. लेकिन अब वह जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इंटरेनशनल फाइट्स में हिस्सा लेने के लिए सरकार से मदद चाहते हैं.
खान पहले टैक्सी ड्राइवर थे और अपने परिवार की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने कुछ दिनों तक एक क्लोदिंग स्टोर में पार्ट टाइम वर्कर के रूप में भी काम किया.
20 साल की उम्र में जीता गोल्ड मेडल
मोहम्मद महबूब खान ने बताया कि एमएमए में मेरी रुचि तब जगी, जब पहली बार मैंने अपने दोस्त को इसकी ट्रेनिंग लेते हुए देखा. फिर अपने ट्रेनर शेख खालिद की मदद से मैं यहां तक पहुंचा. सिर्फ चार साल की ट्रेनिंग की और इस दौरान ही मैंने 2018 IMMAF में हिस्सा लिया और इंटरेनशनल गोल्ड मेडल जीता. यहां मैंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए बहरीन, कजाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया को हराया. फाइट नाइट के दिन मैंने अफगानिस्तान को भी मात दी. मैं चार बार नेशनल चैम्पियन और चार बार फाइट नाइट चैम्पियन रह चुका हूं.
सरकार से मदद की गुहार
महबूब खान आगे कहते हैं, ‘मैं पहला और अकेला ऐसा भारतीय हूं जिसने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में देश के लिए इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीता है. मैं भारत सरकार से निवेदन करता हूं, मुझे ज्यादा से ज्यादा इंटरनेशनल फाइट्स में हिस्सा लेने और जीतने के लिए सहयोग करे.’
महबूब खान के ट्रेनर और इंडियन एमएमए टीम के कोच शेख खालिद कहते हैं कि मैं एमएमए के लिए भारतीय टीम का कोच हूं और तेलंगाना एसोसिएशन ऑफ मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के लिए हेड कोच हूं. महबूब खान एकमात्र ऐसा टैलेंट है जिसने इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता. इनकी यात्रा बिल्कुल अलग रही है. कभी वो टैक्सी ड्राइवर थे और अब वर्ल्ड चैम्पियन बनकर एमएमए के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रहे हैं. उनकी इस यात्रा में हमने उनका सहयोग और सपोर्ट किया है. एमएमए आज दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ स्पोर्ट्स है.
Bureau Report
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