छोटी फिल्मों का बड़ा सहारा:OTT से फिल्मों की इकोनॉमी बदली, पहले 70% फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा दिन नहीं टिकती थीं, अब फ्लॉप होने का डर खत्म

छोटी फिल्मों का बड़ा सहारा:OTT से फिल्मों की इकोनॉमी बदली, पहले 70% फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा दिन नहीं टिकती थीं, अब फ्लॉप होने का डर खत्म

कम बजट और बिना स्टार पॉवर वाली फिल्मों के लिए OTT (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म वरदान साबित हो रहा है। जो फिल्में मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों में लगने के कुछ ही दिनों बाद हटा दी जाती थीं क्योंकि उनके लिए लागत निकालना मुश्किल होता था, ऐसी फिल्में अब OTT के कारण फायदे का सौदा साबित हो रही हैं।

कोरोना काल में 5 दर्जन से ज्यादा फिल्में ऐसी हैं, जो सीधे किसी न किसी OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई हैं। मजे कि बात ये है कि इनमें से किसी भी फिल्म पर फ्लॉप का टैग नहीं लगा। सभी फिल्मों ने अपनी लागत से ऊपर ही मुनाफा कमाया है। यानी ये कहा जा सकता है कि कई फिल्म मेकर्स के लिए OTT अब सेफ गेम है।

इसके पीछे बड़ा कारण ये है कि OTT प्लेटफॉर्म्स कभी अपनी फिल्मों की व्यूअरशिप का डेटा सार्वजनिक नहीं करते हैं। इस कारण ये कहना मुश्किल होता है कि कोई फिल्म हिट है या फ्लॉप। दूसरा, OTT प्लेटफॉर्म्स फिल्मों को लागत से ज्यादा कीमत पर खरीदते हैं, ऐसे में फिल्म कभी घाटे में नहीं जातीं। जैसे हाल ही में सलमान खान की फिल्म ‘राधे’ के साथ हुआ। करीब 100 करोड़ की लागत से बनी ये फिल्म 170 करोड़ में जी-5 प्लेटफॉर्म पर बिकी।

भले ही ‘राधे’ के रिव्यू नेगेटिव रहे हों, क्रिटिक्स ने भी फिल्म को कुछ खास रेटिंग नहीं दी, लेकिन ये फिल्म कहीं से भी मेकर्स के लिए घाटे का सौदा साबित नहीं हुई। इसके उलट अगर फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होती तो शायद पहले दिन के बंपर कलेक्शन के बाद फिल्म को नेगेटिव पब्लिसिटी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता था।

लॉकडाउन से बदला OTT का हाल
भारत में OTT पर जब फिल्में आनी शुरू हुईं, तब यह माना गया था कि यहां एक्सपेरिमेंटल टॉपिक या बोल्ड कंटेंट वाली फिल्में ही आएंगी। नेटफ्लिक्स की लस्ट स्टोरीज, घोस्ट स्टोरीज और बॉम्बे टॉकीज जैसी फिल्म से इसकी शुरुआत हुई, लेकिन लॉकडाउन ने पूरा दृष्य ही बदल दिया। अभी कुछ महीने तक थिएटर्स 100% ऑक्यूपेसी के साथ खुलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में एक्सक्लूसिव OTT रिलीज की सूची लंबी हो रही है।

इनके लिए था मजबूरी का सौदा
थिएटर बंद होने से OTT पर आना कुछ फिल्मों के लिए मजबूरी भी रही। बड़े स्टार्स की फिल्मों की बात करें तो हॉटस्टार ने अक्षय कुमार की लक्ष्मी के राइट्स 150 करोड़ में खरीदे थे। जबकि जी-5 को राधे की हाइब्रिड रिलीज के राइट्स 225 करोड़ में बेचना तय हुआ था, लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह फिल्म थिएटर में रिलीज नहीं हो रही है, यह तय हो जाने के बाद 170 करोड़ पर फाइनल डील हुई थी। ये फिल्में बेशक थिएटर रिलीज में और कमाई कर सकती थीं। दोनों फिल्मों के प्रोड्यूसर घाटे में नहीं रहे, लेकिन सच यही है कि बड़े बजट की फिल्मों के लिए OTT के मुकाबले थिएटर रिलीज ही सही है। इन दोनों फिल्मों पर शायद सुपर हिट या ब्लॉकबस्टर का लेबल लगते-लगते रह गया।

2020-21 में लॉकडाउन के बाद OTT पर आई फिल्में

सालनेटफ्लिक्सअमेजन प्राइमहॉटस्टारजी-5/जी-प्लेक्स
2020घोस्ट स्टोरीजयह बेलेगिल्टीमस्कामिसेज सीरियल किलरचॉक्ड: पैसा बोलता हैबुलबुलरात अकेली हैगुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्लक्लास ऑफ 83डॉली, किट्टी और वो चमकते सितारेसीरियस मेनजीनी वेड्स सनीकाली खुईलूडोएके वर्सेस एकेगुलाबो-सिताबोशकुंतला देवीछलांगदुर्गामतीकुली नंबर-1दिल बेचारालूटकेसखुदा हाफिजसड़क-2लक्ष्मीबहुत हुआ सम्मानऑपरेशन परिंदेबमफाड़अतीतकोर्ट मार्शलघूमकेतुचिंटू का बर्थडेअनलॉक: दी हॉन्टेड एपवर्जिन भानुप्रियायारापरीक्षाअटकन-चटकनलंदन कॉन्फिडेंशियलकॉमेडी कपलतैशदरबानखाली-पीलीदी पावर
2021त्रिभंगः टेढ़ी मेढ़ी क्रेजीदी गर्ल ऑन द ट्रेनपगलैटअजीब दास्तांसमाइल स्टोनसरदार का ग्रैंडसनहैलो चार्लीदी बिग बुलहम भी अकेले तुम भी अकेलेनेल पॉलिशकागजलाहौर कॉन्फिडेंशियलदी वाइफरात बाकी हैसाइलेंसः कैन यू हिअर इटराधे: योर मोस्ट वॉन्टेड भाई

इन फिल्मों को OTT ने बचा लिया
नेटफ्लिक्स पर अभी अर्जुन कपूर और रकुल प्रीत सिंह की सरदार का ग्रैंडसन रिलीज हुई है। इस फिल्म के सारे रिव्यू बताते हैं कि अगर यह थिएटर में आती तो बुरी तरह से फ्लॉप हो जाती, लेकिन अब OTT पर इस फिल्म को कोई फ्लॉप नहीं बता पाएगा। ऐसे ही अभिषेक बच्चन की बिग बुल और अमिताभ बच्चन की गुलाबो सिताबो बड़े परदे पर आई होती तो ये बॉक्स ऑफिस पर वैसे भी कोई बड़ा चमत्कार नहीं कर सकती थीं। यही बात अभिषेक की लूडो पर भी लागू होती है।
अभिषेक ही नहीं, कई और भी सितारे हैं, जिनका बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा। OTT पर शायद उनकी फिल्म के राइट्स के लिए बड़ा ऑफर नहीं मिलेगा, लेकिन फ्लॉप का लेबल लगने से तो ये अच्छी बात है कि फिल्म यहां आसानी से लागत निकालकर फायदे में रहे।
सुशांत सिंह राजपूत की ‘दिल बेचारा’ को रिकॉर्डतोड़ व्यूज मिले थे। उस फिल्म को हाई रेटिंग भी मिली थी, लेकिन क्या वो बॉक्स ऑफिस पर सामान्य हालात में अच्छा कलेक्शन पा सकती थी? यह एक बड़ा सवाल है।
संजय दत्त और आलिया भट्ट की सड़क-2 को IMDB पर 1.1 रेटिंग मिली थी। फिल्म OTT पर आई थी इसलिए फ्लॉप के तमगे से बच गई।

कई फिल्में सिर्फ टेक्निकल रिलीज होती हैं
ट्रेड एनालिस्ट राहुल दुबे फिल्म रिलीज का असली सच बताते हैं। भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि कोविड से पहले के नॉर्मल दौर में भी 30 फीसदी फिल्में ही थिएटर में सही मायने में देखी जाती थीं। बाकी फिल्में तो सिर्फ टेक्निकल रिलीज हुआ करती थीं। एक हफ्ते या कुछ दिनों के लिए रिलीज होती थीं और हटा दी जाती थीं।
दुबे कहते हैं कि लॉकडाउन के समय देश में OTT प्लेटफॉर्म दोगुने हो गए, इसलिए अब प्रोड्यूसर के पास ज्यादा ऑप्शन हैं। OTT में मार्केटिंग और प्रमोशन कास्ट की टेंशन नहीं रहती। थिएटर में बुरे हाल के डर से भी बच जाते हैं।

थिएटर रिलीज में रिस्क है, OTT सेफ
नेटफ्लिक्स पर टॉप 10 फिल्मों में शुमार रही फिल्म She और थिएटर में रिलीज हुई फिल्म अनारकली ऑफ आरा के निर्देशक अविनाश दास भास्कर के साथ बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि OTT रिलीज में प्रोड्यूसर सेफ है। वह फिल्म बनाता है और मुनाफे के साथ OTT प्लेटफॉर्म को बेच देता है।
अविनाश बताते हैं कि अनारकली ऑफ आरा को कोई रिलीज़ करने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए प्रोड्यूसर ने PVR से साझेदारी में खुद ही फिल्म रिलीज की थी। थियेट्रिकल रिलीज़ में यह रिस्क बना रहता है कि अगर लोग फिल्म देखने नहीं आए तो क्या होगा। यह रिस्क OTT में नहीं है।

कई फिल्में सिर्फ OTT की वजह से लोग देख पाए
अभिनेत्री नीना गुप्ता ने भास्कर से बातचीत में कहा कि OTT सिर्फ प्रोड्यूसर या दर्शक नहीं, कई सारे कलाकारों के लिए भी वरदान साबित हुआ है। सोचिए, अगर OTT नहीं होता तो इतनी फिल्मों का क्या होता? कितने एक्टर्स और दूसरे लोगों को OTT की वजह से काम मिल रहा है। कई फिल्में OTT की वजह से ही दर्शकों तक पहुंच पाई हैं। यह अभी और बढ़ेगा और बढ़ना भी चाहिए।

80% OTT रिलीज
हाल ही में फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा ने कहा है कि अब 80% फिल्में सिर्फ OTT पर ही आएंगी। बड़ा परदा केवल बिग बजट फिल्मों के लिए ही रह जाएगा। बॉलीवुड को रंगीला, सत्या और कंपनी जैसी कई फिल्में दे चुके रामगोपाल वर्मा ने खुद अपना OTT प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया है।

थिएटर के अच्छे दिन आएंगे ही
महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के डिस्ट्रीब्यूटर अक्षय राठी रामगोपाल वर्मा से सहमत नहीं हैं। भास्कर से बातचीत में राठी ने बताया कि अभी सारी फिल्में OTT पर रिलीज हो रही हैं, यह ज्यादातर तो मजबूरी का सौदा है। कोविड खत्म होते ही फिल्मों की थियेट्रिकल रिलीज भी शुरू हो जाएगी और लोग भी फिल्में देखना सिनेमा हॉल में ही पसंद करेंगे।

राठी कहते हैं कि देश में सिनेमा देखने के दौरान शॉपिंग, अच्छी ड्रेसिंग, बाहर का खाना एक कम्प्लीट एक्सपीरियंस है। OTT इसकी जगह कभी नहीं ले सकता। भारत में सिर्फ हिंदी के साथ-साथ रीजनल सिनेमा को जोड़कर देखें तो हर साल करीब ढाई हजार फिल्में बनती हैं। इसमें से 30-50 या 100 फिल्में भी OTT पर आती हैं, तो वो कोई बड़ी बात नहीं है।

साउथ में थिएटर रिलीज का ही जलवा रहेगा
दक्षिण भारत में तेलुगु और तमिल फिल्मों के ट्रेड एनालिस्ट रमेश बाला ने भास्कर से बातचीत में राठी के साथ सहमति जताई। बाला ने बताया कि पैनडेमिक के माहौल में 50 फीसदी ऑक्यूपेसी के साथ भी कर्णन, वकील साहब और मास्टर जैसी फिल्में ब्लॉकबस्टर रहीं। मास्टर ने पूरी दुनिया में 263 करोड़ का बिजनेस किया। कर्णन ने 62 करोड की कमाई की।
बाला का मानना है कि साउथ इंडिया में जिस तरह फिल्मों का जुनून है, इससे यह तय है कि सिनेमा हॉल शुरू होते ही भीड़ टूट पड़ेगी। सिंगल स्क्रीन में तो कमाई के ज्यादा अवसर होते हैं, इसलिए छोटे बजट की फिल्में भी सिंगल स्क्रीन पर आएंगी।

Bureau Report

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