नईदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया है. इस वक्त मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास वर्षा पर आपात बैठक चल रही है, जिसमें अगले कदम पर विचार किया जा रहा है.
रद्द हुआ मराठा आरक्षण
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को खारिज किया और इसे असंवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के मंडल फैसले को ज्यादा जजों की बेंच के पास भेजने से इनकार किया.
50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है, जिसके तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए मंडल फैसले के तहत तय की गई 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा से ज्यादा आरक्षण दिया जाए.
पिछड़ा नहीं है मराठा समुदाय
फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि मराठा समुदाय के लोगों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता, जिसकी वजह से उनको रिजर्व कैटेगरी में लाने की जरूरत पड़े.
मराठा आरक्षण फैसला सुनाते हुए जस्टिस भूषण ने कहा कि इंदिरा साहनी जजमेंट पर पुनर्विचार करना पड़े, उन्हें ऐसा नहीं लगता क्योंकि मराठा समुदाय को आरक्षण देने का कोई वैध कारण नहीं है.
जस्टिस भूषण ने कहा कि अनुच्छेद 342-ए के संबंध में, हमने संवैधानिक संशोधन को बरकरार रखा है और यह किसी भी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है. इसीलिए बेंच याचिका को खारिज कर रही है.
कोर्ट ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर जाने की अनुमति राज्य सरकार को नहीं दी जा सकती है.
Bureau Report
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