राजस्थान में फिर सियासी हलचल:सचिन पायलट के समर्थन में आए भंवर जितेंद्र सिंह, कहा- पायलट से किए गए वादे पूरे होने चाहिए; CM बदलने जैसी कोई बात नहीं

राजस्थान में फिर सियासी हलचल:सचिन पायलट के समर्थन में आए भंवर जितेंद्र सिंह, कहा- पायलट से किए गए वादे पूरे होने चाहिए; CM बदलने जैसी कोई बात नहीं

राजस्थान की राजनीति में 10 महीने बाद फिर से उठे बगावत के सुरों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह, सचिन पायलट के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने पायलट से जो वादे किए थे वो पूरे करने चाहिए, ताकि पायलट अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर सकें। बता दें कि भंवर जितेंद्र सिंह असम में कांग्रेस के प्रभारी हैं और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।

जितेंद्र सिंह ने कहा- सरकार पर कोई खतरा नहीं
जितेन्द्र सिंह ने यह भी कहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने जैसी कोई बात नहीं है और न ही सरकार पर कोई खतरा है। उनका यह बयान इसलिए आया है कि क्योंकि राजस्थान के पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट ने हाल ही में कहा है कि उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं हुए हैं। पायलट ने यह भी कहा कि पार्टी को सत्ता में लाने वाले कार्यकर्ताओं की सुनवाई न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। पायलट के इस बयान के बाद फिर से ये अटकलें शुरू हो गई हैं कि राजस्थान की सत्ता में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है

‘राजनीतिक नियुक्तियां तुरंत होनी चाहिए’
जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि इस मुद्दे पर ज्यादा जानकारी तो खुद सचिन पायलट या पार्टी के प्रभारी नेता दे सकते हैं, लेकिन मुझे यही लगता है कि पायलट अपने कार्यकर्ताओं और विधायकों को उचित सम्मान देने के लिए हाईकमान से जो बातें हुईं उन्हें पूरा कराने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कुछ बातें कहीं हैं इसमें बुरा मानने की बात नहीं है। मैं खुद भी कहता हूं कि राजनीतिक नियुक्तियां तुरंत की जानी चाहिए, ताकि मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मान मिले।

जितेन्द्र सिंह ने यह भी कहा है कि सचिन मेरे अच्छे मित्र हैं। उनके पिता राजेश पायलट का मुझ पर आशीर्वाद रहा था। वे हमारे परिवार के चुनावों में पूरा सहयोग करने पहुंचते थे। उनके परिवार से घनिष्ठ पारिवारिक रिश्ते हैं।

दरअसल पिछले साल अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान के कई कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। उस वक्त दोनों गुटों के नेता कई दिनों तक होटल में बाड़ेबंदी में रहे थे। इस बीच गहलोत सरकार को अस्थिर देखकर भाजपा भी सक्रिय हो गई थी, लेकिन हाईकमान की दखल के बाद पायलट मान गए थे और मामला ठंडा पड़ गया था।

Bureau Report

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