नई दिल्ली: पिछले साल फरवरी में गुजरात के कांडला पोर्ट (Kandla Port) से एक चीनी शिप Dai Cui Yun से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) में इस्तेमाल किये जाने वाला आटोक्लेव (Autoclave) को बरामद किया था. जांच में ये खुलासा हुआ था कि पकड़ा गया चीनी शिप चोरी छुपे पाकिस्तान के कराची (Karachi Port) पोर्ट जा रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक ये खुलासा भी हुआ कि चीन ने पाकिस्तान के शाहीन-2 (Shaheen-2) मिसाइल प्रोग्राम की मदद के लिए आटोक्लेव भेजा था.
जानकारों के मुताबकि लंबी दूरी की मिसाइल में आटोक्लेव के इस्तेमाल से मारक क्षमता बढ़ाई की जा सकती है. ये पहला मामला नहीं है जब हाई टेक हथियारों से जुड़ी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan) का नाम सामने आया हो.
फिर हुआ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर?
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान (Pakistan), चीन (China) और नार्थ कोरिया (North Korea) के बीच चोरी छुपे हथियारों की आपूर्ति के साथ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (Nuclear Technology Transfer) करने का लंबा इतिहास रहा है. ज़ी न्यूज़ (Zee News) के पास एक मौजूद रिपोर्ट के मुताबिक नार्थ कोरिया की 1718 शिप्स (Ships) पिछले 3 साल में चोरी छिपे दुनिया के कई देशों में गईं जिससे न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का शक और गहराता है.
मूवमेंट की जांच की मांग
सुरक्षा से जुड़े अधिकारी के मुताबिक, ‘पाकिस्तान के परमाणु प्रोग्राम को डेवलप करने में चीन का बड़ा रोल रहा है. नार्थ कोरिया के न्यूक्लियर प्रोग्राम और उसकी मिसाइलों को डेवलप करने में चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan) की भूमिका से इंतजार नहीं किया जा सकता. इन हालातों में उत्तर कोरियाई शिप की बड़ी तादाद में हुई मूवमेंट, चिंताजनक है. वहीं इस बात की जांच होनी चाहिए कि इनमें से कितने शिप चीन या पाकिस्तान गए और इनमें क्या सामान मौजूद था.’
बेगिन सादात सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज की रिपोर्ट में दावा
बेगिन सादात सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक नार्थ कोरिया, चीन और पाकिस्तान एक दूसरे को घातक हथियारों और परमाणु तकनीक को ट्रांसफर करने में शामिल हैं. ये रिपोर्ट इन तीनो देशों की जुगलबंदी की पोल खोलती है.
विदेशी मीडिया ने किये कई खुलासे
अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (Defence Intelligence Agency) ने मार्च 2018 में अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया था कि पाकिस्तान के पास मौजूद मल्टीप्ल इंडिपेंडेंट रिन्ट्री व्हीकल (Multiple Independent Reentry Vehicles) जिससे कई न्यूक्लियर वॉर हेड एक साथ लॉन्च हो सकते है. उसे चीन ने चोरी छुपे पाकिस्तान को दिया था. बाद में ‘The Diplomat’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये माना था कि उसने MIRV टेक्नोलॉजी डेवलप करने में पाकिस्तान की मदद की थी.
‘बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान’
पाकिस्तान पर लगातार पड़ रहे इंटरनेशनल दवाब के चलते भले ही LoC पर आतंकियों की संख्या में कमी आ रही हो लेकिन पाकिस्तान के इरादे नेक नहीं है. पाकिस्तान पर Financial Action Task Force (FATF) की तरफ से ब्लैक लिस्ट होने का डर है जिसकी वजह से उसके लिए आतंकियों की खुलेआम मदद करना अब आसान नहीं रह गया है.
पाकिस्तान, FATF की करवाई से बचने के लिए अब चोरी छुपे भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है. वहीं नार्थ कोरिया ,चीन और पाकिस्तान के बीच हो रही हथियारों और हाई टेक टेक्नोलॉजी की सीक्रेट डील ने भी भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है.
Bureau Report
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