Tokyo Olympics: ओलंपिक मेडल से चूकने पर भावुक हुईं भारत की बेटियां, फूट-फूटकर रोने लगीं

Tokyo Olympics: ओलंपिक मेडल से चूकने पर भावुक हुईं भारत की बेटियां, फूट-फूटकर रोने लगीं

टोक्यो: भारतीय महिला हॉकी टीम के पास पहली बार ओलंपिक में मेडल जीतने का मौका था, लेकिन ग्रेट ब्रिटेन की टीम ने शुक्रवार को उसे ब्रॉन्ज मेडल के रोमांचक मुकाबले में 4-3 से मात दे दी. करीबी हार के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम भावुक हो गई. हार के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया फूट-फूटकर रोने लगीं. हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल भी खुद को नहीं रोक पाईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. 

इतिहास रचने से चूक गईं बेटियां

भारतीय महिला हॉकी टीम इस तरह ओलंपिक में इतिहास रचने से चूक गई. भारतीय महिला हॉकी टीम के पास पहली बार ओलंपिक में मेडल जीतने का मौका था, जो हाथ से निकल गया. बता दें कि महिला टीम अपना तीसरा ओलंपिक खेल रही थी. हालांकि पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारतीय महिला टीम ने इतिहास रच दिया था.  

गुरजीत कौर ने भारत को दी थी अच्छी शुरुआत 

गुरजीत कौर ने भारत का खाता 25वें मिनट में मिले पेनाल्टी कार्नर पर खोला और फिर उसके एक मिनट बाद एक और गोल कर स्कोर 2-2 कर दिया. भारत ने पेनाल्टी कार्नर पर गुरजीत द्वारा किए गए गोलों की मदद से शानदार वापसी कर ली थी. अब भारतीय टीम उत्साह से भर चुकी थी. उसने मौके बनाने शुरू किए और उसी क्रम में उसे 29वें मिनट में एक शानदार सफलता मिली. वंदना कटारिया ने फील्ड गोल के जरिए भारत को 3-2 से आगे कर दिया.

भारत के हाथ से ऐसे फिसल गई बाजी 

हाफ टाइम तक भारत 3-2 से आगे था. हाफ टाइम की सीटी बजने के पांच मिनट बाद ही ब्रिटेन ने गोल कर स्कोर 3-3 कर दिया. यह गोल कप्तान होली पिएरे ने किया. तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम कोई गोल नहीं कर सकी. चौथा और अंतिम क्वार्टर जब शुरु हुआ तो मैच का रोमांच चरण पर था. दोनों टीमों के पास मेडल पाने के लिए अंतिम 15 मिनट थे. इस क्रम में हालांकि ब्रिटेन को सफलता मिल गई. 48वें मिनट में उसने पेनाल्टी कार्नर पर गोल कर 4-3 की लीड ले ली. यह गोल ग्रेस बॉल्सडन ने किया.

टोक्यो में महिला टीम का सबसे अच्छा प्रदर्शन 

भारत की महिला टीम के लिए यह ओलंपिक में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन कहा जा सकता है. दुनिया की नौवें नम्बर की भारतीय टीम तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए दुनिया की नम्बर-2 ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी. सेमीफाइनल में हालांकि उसे हार मिली.

यह भारत का तीसरा ओलंपिक

यह भारत का तीसरा ओलंपिक था. मास्को (1980) के 36 साल के बाद उसने रियो ओलंपिक (2016) के लिए क्वालीफाई किया था. भारत अंतिम रूप से चौथे स्थान पर रहा था, लेकिन उस साल बहिष्कार के कारण सिर्फ छह टीमों ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था. इसके बाद भारत ने 2016 के रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन वह 12 टीमों के टूर्नामेंट में अंतिम स्थान पर रही थी. भारत को पूल स्तर पर पांच मैचों में सिर्फ एक ड्रॉ नसीब हुआ था.

Bureau Report

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