नई दिल्ली: अपने सहकर्मी पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली एयर फोर्स की महिला अधिकारी (Woman IAF Office) ने एक और सनसनीखेज आरोप लगाया है. ऑफिसर का कहना है कि रेप के बाद उसे टू-फिंगर टेस्ट (Two-Finger-Test) से भी गुजरना पड़ा, जिससे उसे दोहरा आघात पहुंचा है. वहीं, इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग का कहना है कि एयरफोर्स के ही डॉक्टरों द्वारा टू-फिंगर टेस्ट किया जाना महिला अधिकारी की गरिमा और निजता का हनन है.
NCW चीफ ने लिए लिखा पत्र
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपी खबर के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के भी खिलाफ है, जिसमें इस तरह के टेस्ट पर रोक लगाने की बात कही गई थी. महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने इस संबंध में एयर चीफ मार्शल को पत्र लिखकर जरूरी कदम उठाने को कहा है. आयोग ने कहा कि एयरफोर्स के डॉक्टरों को गाइडलाइंस के बारे में बताना चाहिए.
ICMR का दिया हवाला
पत्र में लिखा है कि 2014 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को गलत करार देते हुए कहा था कि इससे किसी के साथ रेप होने या न होने की पुष्टि नहीं की जा सकती. बता दें कि महिला अफसर ने आरोप लगाया है कि उससे कोयंबटूर के एयरफोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज के परिसर में ही रेप किया गया था. पुलिस ने इस संबंध में आरोपी फ्लाइट लेफ्टिनेंट को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
टू-फिंगर टेस्ट की आलोचना होती रही है. यह एक मैन्युअल प्रक्रिया है, जिसके तहत डॉक्टर पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर टेस्ट करते हैं कि वह वर्जिन है या नहीं. यदि उंगलियां आसानी से चली जाती हैं तो माना जाता है कि वह सेक्सुअली एक्टिव थी. इससे वहां उपस्थित हायमन का पता भी लगाया जाता है. हालांकि, इस पर सवाल उठते रहे हैं. यह किसी पीड़िता की गरिमा के खिलाफ तो है ही, इसके अलावा यह अवैज्ञानिक भी है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे यह पता लगा पाना मुश्किल है कि रेप हुआ है या नहीं.
Bureau Report
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