सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला ट्विन टावर-16(अपेक्स) और 17(स्यान) को ढहाने के अदालती आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सुपरटेक द्वारा दायर संशोधन आवेदन को खारिज कर दिया है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुपरटेक को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। सुनवाई की शुरुआत में सुपरटेक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से सवाल किया कि आखिर यह याचिका विचारयोग्य कैसे है? जवाब में रोहतगी ने कहा कि वह अदालत के आदेश पालन करने की बात कर रहे हैं। वह टावर नंबर-17 को गिराने को तैयार है। रोहतगी का कहना था कि इस टावर को गिराने से दो टॉवरों के बीच की दूरी और हरित क्षेत्र आदि मापदंड पूरे हो जाएंगे। जवाब में पीठ ने कहा यह तो वही बात हो गई कि आदेश का अनुपालन करने की मांग कर रहे है, लेकिन आदेश आपकी शर्तों के मुताबिक हो।
रोहतगी का कहना था कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि आदेश का पालन नहीं करना चाहते बल्कि वह इस मामले में संतुलित नजरिया अपनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं आरडब्ल्यूए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने सुपरटेक की याचिका का विरोध किया। दरअसल, सुपरटेक की ओर से प्रोजेक्ट में संभावित बदलाव की रूपरेखा पेश की गई थी।
मालूम हो कि गत 31 अगस्त को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें दोनों टावर को गिराने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के इन दो टावरों को तीन महीने के भीतर गिराने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा था कि ढहाने का कार्य नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में होगा। सुपरटेक को इस मद में होने वाले खर्च का वहन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को टावरों को गिराने के लिए कहा था जिससे कि सुरक्षित तरीके से गिराना सुनिश्चित किया जा सके।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को दो महीने के भीतर ट्विन टावरों के फ्लैट खरीदारों को 12 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज के साथ राशि वापस करने का भी निर्देश दिया था। कोर्ट ने बिल्डर को एक महीने के भीतर एमरॉल्ड कोर्ट ओनर रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन को हर्जाने के तौर पर दो करोड़ रुपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था।
Bureau Report
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