दिल्ली के संयुक्त नगर निगम के लिए 6 जनवरी शुक्रवार को मतदान होगा। मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी ने शैली ओबेरॉय और भाजपा ने रेखा गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है। नगर निगम में बड़ी जीत हासिल कर चुकी आम आदमी पार्टी का मेयर चुना जाना लगभग तय है, लेकिन मेयर पद के चुनाव में पार्षद अपनी इच्छा अनुसार किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं और दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को वोट करने पर उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जा सकती, लिहाजा मतदान के बाद ही यह तय हो सकेगा कि दिल्ली का मेयर कौन बनेगा।
नगर निगम के मामलों के विशेषज्ञ जगदीश ममगाईं ने शाइनिंग इंडिया न्यूज को बताया कि नगर निगम के मेयर के चुनाव के लिए 250 नवनियुक्त पार्षद, सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और 14 नॉमिनेटेड सदस्य (विधानसभा के सदस्यों का पांचवां हिस्सा, दिल्ली में 70 का पांचवां हिस्सा यानी 14 विधायक मेयर के लिए मतदान करते हैं, इसमें आम आदमी पार्टी के 13 और भाजपा के एक विधायक वोट करेंगे) मतदान करते हैं।
कुल 274 सदस्यों के मतदान में जिस उम्मीदवार को बहुमत हासिल होगा, उसे दिल्ली का मेयर घोषित किया जाएगा। चूंकि, मेयर के चुनाव के समय मतदान के ठीक पहले भी पीठासीन अधिकारी उम्मीदवारों को अपना नाम वापस लेने की छूट देते हैं, इसलिए मेयर पद के लिए चुनाव होगा या नहीं, यह बिल्कुल अंतिम क्षणों में ही तय होगा। मेयर के चुनाव के बाद डिप्टी मेयर और स्थाई सदस्यों का चुनाव भी होगा।
लंबे समय तक नगर निगमों में यह परंपरा रही कि जिस पार्टी का मेयर बन जाता था, उसकी सहमति से डिप्टी मेयर का पद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को दे दिया जाता था। लेकिन राज्यसभा की तरह अब दिल्ली विधानसभा या नगर निगमों में भी यह स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा समाप्त हो गई है। अब डिप्टी मेयर पद के लिए भी राजनीतिक दलों में खूब रस्साकसी होती है।
Bureau Report
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