देश के सबसे बेहतर राज्यों में केरल को शामिल किया जाता है लेकिन अब केरल के भाजपा नेता के. जे. अल्फोंस ने दावा किया है कि राज्य की आर्थिक हालत बेहद खराब है और यह बर्बादी के कगार पर है। के. जे. अल्फोंस ने कहा कि ‘केरल की आर्थिक स्थिति खराब है। यह आर्थिक रूप से बर्बादी के कगार पर है। पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं। साल 2019 से 70 हजार पेंशनर्स को अतिरिक्त डीए का भुगतान नहीं हो सका है। केरल पर सबसे ज्यादा कर्ज है। कोई राज्य ऐसे नहीं चल सकता। सरकार लगातार कर्ज ले रही है और यह भविष्य की पीढ़ियों पर बोझ है।’
बीते पांच सालों में बढ़ा कर्ज
विपक्षी युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी राज्य की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार पर राज्य की आर्थिक हालत खराब करने का आरोप लगाया था। विपक्ष ने सरकार पर भारी कर्ज लेने, फिजूलखर्च और टैक्स कलेक्शन में गड़बड़ी जैसे आरोप भी लगाए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य पर कर्ज बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। इसके चलते प्रति व्यक्ति कर्ज की सीमा भी बढ़कर एक लाख रुपये हो गई है। राज्य की 80 प्रतिशत कर्ज सिर्फ बीते पांच साल में बढ़ा है। केरल विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, राज्य पर 2016-17 में 1,86,453 करोड़ रुपये कर्ज था जो 2021-22 में बढ़कर 3,35,641 हो गया।
राज्य सरकार का कहना है कि बीते साल ही राजस्व घाटा 6,716 करोड़ रुपये हो गया था। राज्य सरकार, केंद्र पर भी ग्रांट में कटौती करने का भी आरोप लगा रही है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 15वें वित्त आयोग के तहत केरल को केंद्र सरकार की तरफ से सबसे ज्यादा आर्थिक मदद मिलेगी। केंद्र सरकार 2020-21 से 2025-26 तक केरल सरकार को 53 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी।
Bureau Report
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