नईदिल्ली: आईसीएमआर (ICMR) के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी से विशेष फायदा होता नहीं देखा गया है. आईसीएमआर ने देश के 39 सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना से संक्रमित मॉडरेट मरीजों पर एक स्टडी की, यह वो मरीज थे जिन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी. 400 से ज्यादा मरीजों पर स्टडी करने के बाद आईसीएमआर ने यह निष्कर्ष निकाला है कि प्लाज्मा थेरेपी मॉडरेट मरीजों पर विशेष फायदा नहीं कर रही है. यह पूरी दुनिया में की गई अब तक की सबसे बड़ी स्टडी है.
कौन हो सकता है प्लाज्मा डोनर?
आईसीएमआर का दावा है कि चीन और नीदरलैंड में भी इसी तरह की स्टडी की गई है और उसमें भी यही पाया गया कि प्लाज्मा थेरेपी थोड़े गंभीर यानी मॉडरेट मरीजों में आशाजनक नतीजे नहीं दिखा रही है. आईसीएमआर ने यह भी बताया है कि कौन-कौन प्लाज्मा डोनर हो सकता है. 18 से 65 वर्ष के 50 किलो वजन से ऊपर के पुरुष प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. ऐसी महिलाएं जिन्होंने कभी गर्भधारण नहीं किया वह भी प्लाज्मा डोनर हो सकती हैं.
प्लाज्मा डोनर जो कभी न कभी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हों उनमें से ऐसे लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं जिनके लक्षण खत्म हुए 14 दिन बीत चुके हों. यह जरूरी नहीं कि उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव हो चुका हो यानी कि लक्षण खत्म होने के 14 दिन के बाद प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है.
प्लाज्मा रिसीवर के बारे में भी आईसीएमआर (ICMR) ने अपने दिशा निर्देशों में कहा है कि जिन्हें कोरोना के शुरुआती लक्षण हैं उनमें प्लाज्मा थेरेपी देने से थोड़ा फायदा हो सकता है. आईसीएमआर के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी उन्हीं मरीजों को देनी चाहिए जिनके शरीर में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी कभी न बनी हो साथ ही लक्षण शुरू होने के 3 से 7 दिन के अंदर प्लाज्मा थेरेपी मिल जानी चाहिए अगर 10 दिन बीत चुके हैं तब प्लाज्मा थेरेपी का कोई फायदा नहीं होगा.
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