एक कदम ने Rakesh Tikait को बनाया Farmers Protest का गेम चेंजर, पढ़ें गाजीपुर से हरियाणा तक की कहानी

एक कदम ने Rakesh Tikait को बनाया Farmers Protest का गेम चेंजर, पढ़ें गाजीपुर से हरियाणा तक की कहानीनईदिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 71 दिनों से जारी है और किसान कानूनों की वापसी पर अड़े हैं. आंदोलन के बीच उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत का कद बढ़ गया है. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता देश में किसानों के सबसे बड़े नेता के रूप में उभर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून के विरोध में आंदोलन की राह पकड़े किसान संगठन भी उनको अपना सिरमौर मानने लगे हैं.

पंजाब से शुरू हुआ था किसान आंदोलन

नए कृषि कानूनों का विरोध सबसे पहले पंजाब में शुरू हुआ और देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों में अभी भी सबसे ज्यादा संख्या में पंजाब के ही किसान हैं और दूसरे नंबर पर हरियाणा के किसान हैं. हालांकि, गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश के किसान मोर्चा संभाले हुए हैं, जिनकी अगुवाई राकेश टिकैत बीते 2 महीने से ज्यादा समय से करते रहे हैं. हालांकि, सरकार के साथ हुई 11 दौर की वार्ताओं से लेकर आंदोलन की रणनीति पर पंजाब के किसान संगठन ही फैसला लेते रहे हैं.

कैसे राकेश टिकैत ने पलट दिया आंदोलन

26 जनवरी को आंदोलनकारी किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद जब किसान आंदोलन कमजोर पड़ने लगा था और गाजीपुर बॉर्डर से धरना-प्रदर्शन हटाने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली थी, तब राकेश टिकैत की आंखों से निकले आंसू से फिर आंदोलन को ताकत मिल गई और प्रदर्शन का मुख्य स्थल सिंघु बॉर्डर से आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान नेता गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे.

राकेश टिकैत के समर्थन में जुटने लगी भीड़

किसान आंदोलन को जहां पहले राजनीतिक दलों से दूर रखा गया था, वहां विपक्षी दलों के नेताओं के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया. अब किसानों की महापंचायतें हो रही हैं, जिनमें राकेश टिकैत पहुंचने लगे हैं. इसी सिलसिले में बुधवार को हरियाणा की जींद में आयोजित किसानों की एक महापंचायत में राकेश टिकैत के समर्थन में भारी भीड़ जुटी थी. महापंचायत में हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों के नेता भी मौजूद थे, लेकिन उन नेताओं में राकेश टिकैत ही सबसे मुखर वक्ता के रूप में नजर आए.

टिकैत ने सरकार को दे डाली चुनौती

किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी की घटना के पहले भी राकेश टिकैत मीडिया में छाए रहते थे, लेकिन आंदोलन की रणनीति के बारे में उनसे जब कोई सवाल किया जाता था उनका जवाब होता था कि सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा जो फैसला लेगा वही उनका फैसला होगा. हालांकि जींद की महापंचायत में उन्होंने कहा, ‘हमने तो सरकार से अभी बिल वापस लेने की मांग की है, अगर हमने गद्दी वापसी की बात कर दी तो सरकार का क्या होगा.’ उन्होंने चुनौती भरे अंदाज में कहा, ‘अभी समय है सरकार संभल जाए.’

पंजाब के किसान टिकैत को मानते हैं बब्बर शेर

किसान आंदोलन पर पैनी निगाह रखने वाले कहते हैं कि इस आंदोलन में राकेश टिकैत मौजूदा दौर में किसानों के सबसे बड़े नेता के रूप में उभर चुके हैं. किसान आंदोलन में शामिल पंजाब के एक बड़े किसान संगठन के नेता से जब पूछा कि क्या राकेश टिकैत अब किसानों के सबसे बड़े नेता बन गए हैं तो उन्होंने कहा, ‘राकेश टिकैत हमारे बब्बर शेर हैं.’ राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के जिस किसान संगठन से आते हैं, उसके अध्यक्ष उनके बड़े भाई नरेश टिकैत हैं. इनके पिता दिवंगत महेंद्र सिंह टिकैत भी किसानों के बड़े नेता के रूप में शुमार थे.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*